मंत्री बोले- देश के विकास की पहचान बना मध्यप्रदेश:सीहोर में धूमधाम से मनाया गया स्थापना दिवस, लोकतंत्र सेनानियों के परिजनों का सम्मान

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Drnewsindia .com/सीहोर। मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस पर शनिवार को सीहोर कलेक्टर कार्यालय परिसर में भव्य समारोह आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने ध्वजारोहण कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस दौरान जिले के विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने आकर्षक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से माहौल देशभक्ति और लोक संस्कृति के रंगों से भर दिया।

स्वदेशी उत्पादों की प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र

कार्यक्रम में विभिन्न विभागों की ओर से स्वदेशी उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई। इसमें अनुसूचित जाति एवं जनजातीय कार्य विभाग, जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र, खाद्य प्रसंस्करण, उद्यानिकी, किसान कल्याण एवं कृषि विभाग, शिक्षा विभाग और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के स्टॉल शामिल रहे। यहां स्थानीय उत्पाद, हस्तशिल्प और नवाचारों को लोगों ने सराहा।

70वें वर्ष में प्रवेश का गर्व का क्षण: मंत्री

राजस्व मंत्री वर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि 1 नवंबर को मध्यप्रदेश अपनी स्थापना के 70वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सिर्फ भारत के हृदय में ही नहीं है, बल्कि देश के समग्र विकास में भी अहम भूमिका निभा रहा है।

उन्होंने कहा— “पिछले 70 वर्षों में मध्यप्रदेश ने लोगों की मेहनत, समर्पण और जनता की सक्रिय भागीदारी की बदौलत निरंतर तरक्की की है। सीहोर ने भी कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियां दर्ज की हैं।”

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने जीता दिल

कार्यक्रम में ब्लू वर्ल्ड स्कूल के विद्यार्थियों ने लोकगीत, सांदीपनि स्कूल ने लोक नृत्य और कन्या परिसर की छात्राओं ने जनजातीय संस्कृति पर आधारित समूह नृत्य प्रस्तुत किया। सेंट ऐन्स स्कूल के छात्र अगस्त गुप्ता ने देशभक्ति गीत गाकर दर्शकों का मन मोह लिया, जबकि संगीतिका संगीत महाविद्यालय के समूह ने मध्यप्रदेश गान प्रस्तुत किया।

प्रदर्शन देने वाले छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करते हुए बालिका दलों को दस-दस हजार रुपए और छात्र अगस्त गुप्ता को पांच हजार रुपए का पुरस्कार देने की घोषणा की गई।

लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान

कार्यक्रम में राजस्व मंत्री ने लोकतंत्र सेनानियों की परिजन कस्तूरी बाई और सीता बाई को शॉल और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया। मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों के योगदान को राज्य कभी नहीं भूल सकता।


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