भोपाल। मध्य प्रदेश भाजपा की नई प्रदेश कार्यकारिणी घोषित हुए करीब चार सप्ताह बीत चुके हैं, लेकिन पार्टी के सबसे अहम पदों में से एक ‘प्रदेश कार्यालय प्रभारी महामंत्री’ की घोषणा अभी तक नहीं की गई है। जबकि प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की टीम में शामिल अन्य पदाधिकारियों, जिसमें उपाध्यक्ष और मंत्री शामिल हैं, ने कार्यभार संभाल लिया है।
टीम हेमंत में चार नेताओं को महामंत्री बनाया गया है:
- डॉ. लता वानखेड़े (सांसद, सागर)
- डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी (राज्यसभा सांसद)
- गौरव रणदीवे (पूर्व नगर अध्यक्ष, इंदौर)
- राहुल कोठारी (पूर्व प्रदेश मंत्री)

अब सवाल यह है कि क्या इन नेताओं को सिर्फ महामंत्री बनाकर ही संतुष्ट किया जाएगा, या इनमें से किसी एक को प्रदेश संगठन के केंद्र प्रदेश कार्यालय की कमान सौंपी जाएगी?
दौड़ में सबसे आगे गौरव रणदीवे का नाम
सूत्रों की मानें तो प्रदेश कार्यालय प्रभारी महामंत्री की दौड़ में गौरव रणदीवे का नाम सबसे आगे चल रहा है।
- सकारात्मक तर्क: रणदीवे मालवा अंचल से आते हैं। उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपकर पार्टी मालवा अंचल को साधने का महत्वपूर्ण संदेश दे सकती है।
- सबसे बड़ी चुनौती: रणदीवे इंदौर में निवास करते हैं। ऐसे में उनके लिए प्रतिदिन प्रदेश कार्यालय में उपस्थित रहना और पार्टी कार्यकर्ताओं व आम जनता की समस्याओं को सुनना एक बड़ी चुनौती हो सकता है।

राज्यसभा सांसद डॉ. सोलंकी पर असमंजस
इसके बाद दूसरा बड़ा नाम डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी का है।
- सकारात्मक तर्क: सोलंकी निमाड़ से आते हैं और आदिवासी क्षेत्रों में उनकी अच्छी पकड़ है। उन्हें कमान सौंपकर भाजपा आदिवासी जनमानस को साधने का संदेश दे सकती है।
- चुनौती: डॉ. सोलंकी राज्यसभा सदस्य हैं, जिसके चलते उनका प्रदेश कार्यालय को पर्याप्त समय देना मुश्किल हो सकता है।
सांसद लता वानखेड़े के लिए संसद सत्र बड़ी बाधा
सागर से लोकसभा सांसद डॉ. लता वानखेड़े के साथ भी यही दिक्कतें हैं। संसद सत्र के दौरान उनका प्रदेश कार्यालय में नियमित रूप से उपस्थित रहना और कार्यकर्ताओं से संवाद करना मुश्किल होगा। हालांकि, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के परिवार से अच्छे संबंधों के कारण उन्हें यह जिम्मेदारी मिलने की संभावना है।

‘डार्क हॉर्स’ साबित हो सकते हैं राहुल कोठारी
इन सबके बीच, राहुल कोठारी एक मजबूत दावेदार के रूप में उभर रहे हैं, जिनके पक्ष में कई प्लस पॉइंट हैं:
- स्थानीय लाभ: वह राजधानी भोपाल के ही निवासी हैं और किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। इससे वह प्रदेश कार्यालय को प्रतिदिन पूरा समय दे सकते हैं।
- सत्ता से करीबी: वह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के काफी करीबी माने जाते हैं, जिससे संगठन और सत्ता के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा है कि अगर यह जिम्मेदारी कोठारी को मिलती है तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।
पार्टी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल जल्द ही प्रदेश कार्यालय प्रभारी महामंत्री की घोषणा कर इस महत्वपूर्ण पद पर चल रही अटकलों पर विराम लगाएंगे।





