गुना में ‘मराठी संवाद’ बना आकर्षण: केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने मुनि योग सागर महाराज से मातृभाषा में की आत्मीय चर्चा

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मराठी कनेक्शन: सिंधिया ने मुनि योग सागर महाराज से मातृभाषा में की बात, जैन समाज ने रखी भारत रत्न की मांग।

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गुना / केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को गुना में जैन समाज द्वारा आयोजित शांतिनाथ महामंडल विधान में निर्यापक मुनि योग सागर महाराज के दर्शन किए। मराठा राजवंश से ताल्लुक रखने वाले सिंधिया और मूल रूप से महाराष्ट्र से संबंध रखने वाले मुनिश्री के बीच हुई मातृभाषा मराठी में विस्तृत चर्चा कार्यक्रम का केंद्र बिंदु बन गई।

सिंधिया ने जैन धर्म के सिद्धांतों की प्रशंसा की और समाज की प्रमुख मांगों पर शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया।


✨ एक नज़र में मुख्य बातें

  • स्थल: गोशाला प्रांगण, गुना।
  • मुख्य आकर्षण: सिंधिया (मराठा राजवंश) और मुनि योग सागर महाराज के बीच मराठी भाषा में आत्मीय संवाद।
  • सिंधिया का संदेश: “जियो और जीने दो” ही भारत की असली शक्ति है।
  • प्रमुख मांग: आचार्य विद्यासागर महाराज को भारत रत्न देने की अनुशंसा।
  • आश्वासन: केंद्रीय मंत्री ने सभी मांगों पर जल्द समाधान का भरोसा दिया।

मराठा कनेक्शन: मातृभाषा में हुई आत्मीय चर्चा

गोशाला प्रांगण में शांतिनाथ महामंडल विधान के दौरान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुनिसंघ को श्रीफल भेंट किया। मुनि योग सागर महाराज, जो कि मराठी और कन्नड़ भाषाओं में शिक्षित हैं, उनसे सिंधिया ने मराठी में संवाद शुरू किया।

चूंकि सिंधिया का संबंध भी ग्वालियर के मराठा राजवंश से है, इसलिए मातृभाषा में हुई यह आत्मीय चर्चा उपस्थित श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बन गई। सिंधिया ने मुनिश्री के स्वास्थ्य और धर्म-कार्य की प्रगति के संबंध में जानकारी ली।

सिंधिया बोले, बचपन में पिता के मार्गदर्शन में अपनाया ‘जियो और जीने दो’ सिद्धांत

मराठी संवाद के पश्चात सिंधिया ने जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जैन धर्म के मूल सिद्धांत—“जियो और जीने दो” और “क्षमावाणी”—जीवन को सरल और पवित्र बनाने का मार्ग दिखाते हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने मात्र आठ वर्ष की उम्र में अपने पिता के मार्गदर्शन में इन सिद्धांतों को अपनाया था, और आज वही संस्कार वह अपने बेटे को भी दे रहे हैं।


जैन समाज की प्रमुख मांगें और सिंधिया का आश्वासन

ब्रह्मचारी संजीव भैयाजी कटंगी ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समक्ष जैन समाज की ओर से कई महत्वपूर्ण मांगें रखीं, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:

  • आचार्य विद्यासागर महाराज को भारत रत्न सम्मान देने की अनुशंसा करना।
  • आचार्य विद्यासागर महाराज के नाम पर डाक टिकट जारी करने की मांग।
  • जबलपुर-रायपुर इंटरसिटी ट्रेन का नाम बदलकर आचार्य विद्यासागर इंटरसिटी करने का प्रस्ताव।
  • गोशाला में जलभराव से बचाव के लिए पुलिया का निर्माण।
  • गायों के उपचार के लिए नियमित डॉक्टर की सेवा उपलब्ध कराना।

सिंधिया ने सभी मांगों को गंभीरता से सुना और समाज को शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया। उनके इस सकारात्मक रुख से जैन समाज के कार्यकर्ताओं और श्रद्धालुओं में उत्साह और संतोष का माहौल बन गया।

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