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भोपाल। विश्वरंग – टैगोर अंतरराष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव 2025 के समापन दिवस पर रवीन्द्र भवन के मुक्ताकाश मंच पर आयोजित सुर–संध्या में प्रसिद्ध गायिका सोना महापात्रा ने अपनी दमदार और सुरमयी प्रस्तुति से शाम को यादगार बना दिया। लोक, सूफी और कंटेंपररी बॉलीवुड संगीत के मेल ने दर्शकों को ऐसा बांधा कि पूरा सभागार तालियों और उत्साह से गूँज उठा।
कार्यक्रम की शुरुआत सोना के लोकप्रिय गीत “बेदर्दी राजा” से हुई, जिसे सुनते ही युवाओं में जोश उमड़ पड़ा। इसके बाद उन्होंने शक्ति और भक्ति से परिपूर्ण “आई गिरी नंदिनी” की ऊर्जावान प्रस्तुति दी, जिसने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक रंग से भर दिया।

सूफी परंपरा की अमर रचना “छाप तिलक सब छीनी…” में सोना की भावपूर्ण गायकी ने प्रेम, समर्पण और अनुभूति की गहराई को और भी निखार दिया। श्रोताओं ने इस प्रस्तुति को खूब सराहा।
इसी क्रम में उन्होंने रूमानी अंदाज में “जिया लागे ना…” सुनाया, जिसने माहौल को भावुक बनाने के साथ सुर–संध्या में सौन्दर्य जोड़ दिया। भक्तिरस के स्पर्श से सजी “नारायण राम रमणा…” की प्रस्तुति ने दर्शकों को भक्ति के संगीत सागर में डुबो दिया।
संध्या का सबसे ऊर्जावान क्षण तब आया जब सोना महापात्रा ने अपना सुपरहिट गीत “अम्बर सरिया…” गाया। गीत शुरू होते ही सभागार में मौजूद दर्शक तालियों, ठुमकते कदमों और सुर में सुर मिलाते हुए नजर आए।
विश्वरंग 2025 के अंतिम दिन यह सुर–संध्या दर्शकों के लिए एक अविस्मरणीय सांस्कृतिक अनुभव बन गई।




