केन्द्र सरकार पूरे देश में भूमि अधिग्रहण कानून में एकरूपता लाए — भारतीय किसान संघ

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रिसर्च सेंटर के बैनर तले दो दिवसीय अखिल भारतीय विद्वत संगोष्ठी आयोजित हुई।

देशभर में लैंड पुलिंग कानून समाप्त करने की मांग, ‘उदयपुर डिक्लेरेशन’ जारी

Drnewsindia.com/भोपाल,
देश के सबसे बड़े किसान संगठन भारतीय किसान संघ ने भूमि अधिग्रहण कानून की खामियों पर गंभीर चिंता जताई है। विकास परियोजनाओं के नाम पर कृषि भूमि के अधिग्रहण से किसान और ग्रामीण लगातार प्रभावित हो रहे हैं। इसी मुद्दे पर राजस्थान के उदयपुर स्थित डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में दो दिवसीय अखिल भारतीय विद्वत संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें विस्तृत चर्चा के बाद ‘उदयपुर डिक्लेरेशन’ जारी किया गया।

संगोष्ठी का आयोजन भारतीय किसान संघ के थिंक-टैंक माने जाने वाले भारतीय एग्रो इकोनॉमिक रिसर्च सेंटर (BAERC) के बैनर तले किया गया। अखिल भारतीय अध्यक्ष प्रमोद चौधरी ने बताया कि अंग्रेजी शासनकाल के भूमि अधिग्रहण कानून और उसके बाद हुए संशोधनों की विसंगतियों पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार को 15 सूत्रीय सुझाव भेजने का निर्णय लिया गया है।
बैठक में 12 राज्यों से आए किसान प्रतिनिधि, BAERC, भारतीय किसान संघ, वनवासी कल्याण आश्रम और भारतीय अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय पदाधिकारी शामिल हुए।


देशव्यापी सर्वे में सामने आईं बड़ी खामियां

BAERC की विज्ञप्ति के अनुसार सर्वे में भूमि अधिग्रहण से जुड़े कई गंभीर तथ्य सामने आए—

  • किसानों को भूमि कब्जे के बाद भी उचित मुआवजा समय पर नहीं मिला।
  • विस्थापितों के रोजगार, पुनर्वास और आवास की व्यवस्था केवल कागज़ों तक सीमित रही।
  • अधिग्रहण के बाद बची भूमि कई क्षेत्रों में डूब या अन्य कारणों से कृषि योग्य नहीं रही, पर इसके मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है।
  • “लैंड पुलिंग” एक्ट के माध्यम से किसानों को कागज़ी आश्वासनों से बरगलाया गया।
  • न्यायपालिका ही एकमात्र उपचार है, लेकिन किसान के पास लंबी कानूनी लड़ाई के लिए समय और धन दोनों की कमी है।
  • योजनाएं समय पर पूरी न होने से किसान आर्थिक व मानसिक रूप से टूट जाते हैं।

उदयपुर डिक्लेरेशन : केंद्र सरकार को भेजे गए 15 सुझाव

1. ग्रामसभा की 80% सहमति अनिवार्य हो, वह भी स्वतंत्र अधिकारी की मौजूदगी में डिजिटल रिकॉर्ड के साथ।

2. वास्तविक बाजार मूल्य/रजिस्ट्री मूल्य (जो अधिक हो) का 4 गुना मुआवजा मिले।

3. भूमि कब्जे से पहले R&R योजना पूरी तरह लागू हो; जिलेवार पुनर्वास बोर्ड बने।

4. जनजातीय क्षेत्रों में पूरे गांवों का सामूहिक पुनर्वास कर संस्कृति-सामाजिक ढांचे की रक्षा की जाए।

5. बहुफसली सिंचित भूमि के अधिग्रहण पर रोक लगे।

6. पहले वन क्षेत्र की ऊसर एवं बंजर भूमि का उपयोग किया जाए।

7. आजीविका छिनने पर विस्थापितों को प्रशिक्षण व रोजगार की गारंटी मिले।

8. एकमुश्त मुआवजे के बजाय प्रतिवर्ष प्रति एकड़ किराया दिया जाए; किसान जब चाहे 4 गुना राशि पर एकमुश्त मुआवजा ले सके।

9. परियोजनाओं में किसानों को शेयरहोल्डर बनाकर हिस्सेदारी दी जाए।

10. लैंड पुलिंग एक्ट पूरी तरह समाप्त किया जाए; सार्वजनिक भूमि को बिल्डर/कंपनी को बेचने पर रोक।

11. 5 वर्ष तक भूमि का उपयोग न होने पर भूमि किसान को वापस मिले, बिना मुआवजा लौटाए।

12. अधिग्रहण प्रक्रिया डिजिटल, पारदर्शी हो और मोबाइल शिकायत ऐप बनाया जाए।

13. नीलामी के माध्यम से भूमि खरीदते समय भुगतान तत्काल हो और मूल्य बाजार दर का 4 गुना हो।

14. राज्यों में अलग-अलग संशोधनों से कानून कमजोर हुआ—इसलिए पूरे देश में एकसमान कानून बनाया जाए।

15. नियमों का दुरुपयोग कर किसानों को भ्रमित करने पर अधिकारियों पर 1 वर्ष के भीतर कठोर दंडात्मक कार्रवाई हो।


बैठक में उपस्थित प्रमुख

बैठक में प्रमुख रूप से उपस्थित रहे—

  • दिनेश कुलकर्णी, अखिल भारतीय संगठन मंत्री, भारतीय किसान संघ
  • प्रमोद चौधरी, अध्यक्ष, भारतीय एग्रो इकोनॉमिक रिसर्च सेंटर
  • मकरंद करकरे, महामंत्री
  • श्रीनिवास मूर्ति, अध्यक्ष, भारतीय अधिवक्ता परिषद
  • एडवोकेट संजय पोद्यार, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष
  • अजय तलहर, असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल, महाराष्ट्र
  • प्रताप सिंह धाकड़, कुलगुरु, MPUAT उदयपुर
  • 12 राज्यों के किसान प्रतिनिधि

जारीकर्ता :

राघवेन्द्र सिंह पटेल — अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख, भारतीय किसान संघ
राहुल धूत — प्रांत प्रचार प्रमुख, मध्य भारत प्रांत, भारतीय किसान संघ


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