सीहोर। शहर के सीवन तट पर हनुमान मंदिर गोपालधाम में शिव प्रदोष सेवा समिति के तत्वाधान में एक माह तक आयोजित होने वाले शिव शक्ति दिव्य अनुष्ठान वैशाख महापर्व का आयोजन किया जा रहा है। रविवार को बड़ी संख्या में शिवभक्त जुटे। मौका था उनका महारुद्राभिषेक का। इस दिन खास नमक चमक के साथ महारुद्राभिषेक किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्बालु मौजूद रहे। बताया जाता है कि यह अभिषेक खास मौकों पर ही किया जाता है। श्रावण मास में हर कोई भोलनाथ की आराधना में लीन है। नित्य प्रतिदिन उनका महारुद्राभिषेक भी किया जा रहा है।
रविवार को आयोजित गोपालधाम स्थित मंदिर में सुबह भगवान शिव का अभिषेक किया गया और उसके पश्चात हवन पूजन का आयोजन किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी शामिल थे। मंदिर में पूरे माह यज्ञाचार्य पंडित पवन व्यास और पंडित कुणाल व्यास के सानिध्य में आधा दर्जन से अधिक विप्रजनों के द्वारा अभिषेक, दुर्गासप्ती का पाठ, हनुमान चालीसा का पाठ, राम चरित्र मानस का पाठ आदि किया जाएगा।
वैशाख माह में शिव को अभिषेक का फल
शिव प्रदोष सेवा समिति की ओर से मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि इन दिनों वैशाख का माह चल रहा है। इस महीने तेज गर्मी पड़ती है क्योंकि इस दैारान सूर्य की रोशनी धरती पर ज्यादा देर तक रहती है। साथ ही सूर्योदय जल्दी हो जाता है और सूर्यास्त देरी से होता है। इसलिए ही इस समय दिन बड़े और रातें छोटी होती है। इस कारण स्कंद पुराण में भी बताया गया है कि वैशाख महीने में जल का दान करना चाहिए, पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करनी चाहिए और शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए। मौसम के मुताबिक ऐसा करने से कई गुना पुण्य मिलता है। भगवान शिव ने जन कल्याण के लिए समुद्र मंथन से निकला जहर पिया था। उस जहर की गर्मी से उनका शरीर नीला हो गया। उस गर्मी को कम करने के लिए ही शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा है। वैशाख महीने में गर्मी बहुत बढ़ जाती है। इसलिए इस महीने में खासतौर से शिवालयों में जल दान का विधान है।
जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप, रोग, शोक और दोष दूर हो जाते
यही वजह है कि शिव मंदिरों में भगवान भोलेनाथ के ऊपर जलधारा के लिए पानी से भरी मटकी में छेद कर कुशा लगाई जाती है जिससे लगातार शिवलिंग पर जल टपकता रहे। स्कंद और शिव पुराण के मुताबिक वैशाख महीने में सूर्योदय से पहले उठकर नहाने के बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाने का विधान बताया है। इसके लिए तांबे के लोटे में साफ पानी या तीर्थ का जल भरें। उसमें गंगाजल की कुछ बूंदे और सफेद फूल डालें। शिवालय जाकर ये जल शिवलिंग पर चढ़ा दें। ऐसा करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप, रोग, शोक और दोष दूर हो जाते हैं। पुराणों में शिव पूजा के लिए वैशाख का महत्व पुराणों में बताया गया है कि श्रावण से पहले वैशाख महीने में भी शिव की विशेष आराधना करनी चाहिए। वैशाख में तेज गर्मी पड़ती है, इसलिए शिव पर जलधारा लगाई जाती है। वैशाख महीने के दौरान तीर्थ स्नान और दान का भी विशेष महत्व बताया गया है। इस महीने में पशु-पक्षियों को भी जल पिलाने की व्यवस्था किए जाने की परंपरा है। जिसका विशेष पुण्य फल मिलता है।