भोपाल / कांग्रेस ने प्रदेश के पुलिस मुखिया डीजीपी कैलाश मकवाना के उस आदेश का विरोध किया है, जिसमें उन्होंने पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को सांसदों और विधायकों को सैल्यूट करने के लिए कहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा है कि पुलिस को जनप्रतिनिधियों के प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए कहा जाए न कि सत्ता के घमंड में पुलिस का मनोबल तोड़ने का काम कराया जाए।
मोहन सरकार वर्दी को सम्मान और संसाधन दे। पटवारी ने इस आदेश को लोकतंत्र पर हमला और वर्दी का अपमान कहा है। उन्होंने अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि जिस दिन यह आदेश मंजूर किया गया, उसी दिन प्रदेश की वर्दी को राजनीतिक गुलामी में धकेल दिया गया। उन्होंने सरकार से इस तरह का आदेश वापस लेने की मांग की है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने शनिवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि जिस समय राज्य की कानून व्यवस्था रसातल में पहुंच चुकी हो, पुलिस खुद अपराधियों के निशाने पर हो, ऐसे समय में राज्य सरकार पुलिस को न्याय दिलाने की बजाय सत्ता के प्रतीकों के सामने झुकने का फरमान सुना रही है। यह आदेश जनतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों और संविधान की आत्मा जनता सर्वोच्च है का भी अपमान है। पटवारी ने कहा कि प्रदेशभर में रेत, शराब, भू-माफिया और ट्रांसपोर्ट सिंडिकेट खुलेआम पुलिस को चुनौती दे रहे हैं। पिछले 6 महीने में पुलिस पर हमले की दर्जनों घटनाएं, थानों पर हमले, जवानों को पीटना, राजनीतिक संरक्षण में अपराधियों को बचाना जैसी अनेक घटनाओं ने पुलिस की साख पर सवाल खड़े किए हैं। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं, बच्चों और दलितों के खिलाफ अपराध में मध्य प्रदेश टॉप पर है।
पटवारी ने भाजपा सरकार के निर्णय से असहमति जताते हुए कहा कि पुलिस का मनोबल पहले ही कमजोर है। वह एक ओर अपराधियों से लड़ रही है, तो दूसरी तरफ भाजपा नेताओं के दबाव से जूझ रही है। और अब यह आदेश उन्हें और भी कमजोर, झुका हुआ और भयभीत बना सकता है। पुलिस की निडर और निष्पक्ष कार्यप्रणाली में सत्ता दल के नेताओं का दखल बढ़ सकता है!
किसी योग्य व्यक्ति को बनाएं गृहमंत्री
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पटवारी ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को प्रदेश का सबसे असफल गृहमंत्री बताते हुए फिर से यह मांग की है कि उन्हें किसी योग्य व्यक्ति को गृह मंत्रालय का दायित्व देना चाहिए। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि क्या यह निर्णय भाजपा नेताओं की मांग थी? यदि यह आदेश भाजपा नेताओं के दबाव में लिया गया है, तो यह स्पष्ट है कि भाजपा की मंशा पुलिस को स्वतंत्र नहीं, सत्ता का सेवक बनाना है। उन्होंने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि क्या भाजपा के सांसद-विधायक यह चाहते हैं कि पुलिस उन्हें विशेषाधिकार के तहत सलामी दे? क्या यह आदेश उनके अहंकार की तुष्टि के लिए लाया गया है?