मेट्रो , भदभदा रूट को रातीबड़, रत्नागिरी को काॅलेज तक बढ़ाने का प्रस्ताव
डीआर न्यूज इंडिणया भोपाल
भोपाल में हाईराइज इमारतों की मंजूरी को लेकर सालों से चली आ रही दोहरी व्यवस्था जल्द खत्म हो सकती है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सवाल उठाया कि जब प्रदेश के बाकी सभी शहरों में नगर निगम हाईराइज बिल्डिंग की मंजूरी देते हैं, तो भोपाल में शासन स्तर से मंजूरी की व्यवस्था क्यों बनी हुई है?
बैठक में तय हुआ कि इस व्यवस्था की गंभीर समीक्षा की जाएगी और संभवतः भोपाल में भी मंजूरी का अधिकार स्थानीय निकायों को सौंपा जाएगा। मुख्यमंत्री ने साफ किया कि भोपाल का विकास उसी मॉडल पर होना चाहिए, जो पूरे प्रदेश में लागू है। उन्होंने पूछा कि यदि शासन स्तर से मंजूरी से भोपाल को कोई अतिरिक्त लाभ नहीं हुआ है, तो इस व्यवस्था को समाप्त किया जाए। इसके अलावा भोपाल में मेट्रो रूट में भी बदलाव हो सकता है। बैठक में विधायक रामेश्वर शर्मा ने भोपाल के मेट्रो प्रोजेक्ट में सड़क पर जगह की कमी का मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि रानी कमलापति स्टेशन से डीबी मॉल के बीच सड़क
भेल की जमीन का 50-50 जमीन शहरी विकास के लिए
बैठक में भेल की जमीन के उपयोग पर भी निर्णय हुआ। भेल की जमीन का उपयोग अब 50-50 मॉडल पर होगा। 50ः भूमि भेल की जरूरतों के लिए और 50ः शहरी विकास के लिए। इस पर केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय और मप्र नगरीय प्रशासन विभाग में सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। अफसरों ने बताया कि मप्र शासन ने भेल से 4 हजार हेक्टेयर जमीन वापस मांगी है।
पर स्थान कम बचा है। इस पर मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि भविष्य में मेट्रो के नए रूट बनाने में डबल डेकर एलिवेटेड कॉरिडोर का प्रावधान किया जाए। इससे लागत भी कम आएगी और जमीन भी बचाई जा सकेगी। फिलहाल एम्स से करोंद चैराहा और भदभदा से रत्नागिरी तिराहा तक दो नए मेट्रो कॉरिडोर पर काम जारी है। मेट्रो के कुछ रूट रिवाइज किए जा सकते हैं। बैठक में जनप्रतिनिधियों ने सवाल उठाया कि भदभदा और रत्नागिरी पर मेट्रो मेट्रो का एंड पाइंट बनाने से लाभ नहीं होगा। भदभदा रूट को नीलबड़ और रातीबड़ तक बढ़ाया जाना चाहिए और रत्नागिरी को एलएनसीटी कॉलेज तक बढ़ाया जाना चाहिए। स्टूटेंड की मोबेलिटी का भी ध्यान रखा जाए।