आष्टा / शहर के मंत्री पेट्रोल पंप से गणेश मंदिर रोड उमाशंकर धाम कालोनी के पास प्राचीन श्री हंसदास मठ दशहरा बाग में पंच कुण्डात्मक महायज्ञ एवं रिद्धेश्वर स्फटिक शिव लिंग, शिव पंचायतन एवं श्री सिद्धवीर हनुमान महाराज की प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, महोत्सव के अंतर्गत बुधवार से आरंभ हुई सात दिवसीय संगीतमय शिव महापुराण के पहले दिन भागवत भूषण पंडित चेतन उपाध्याय ने शिव महापुराण का महत्व के साथ ही भगवान शिव के स्वरूप का वर्णन करते हुए उनके स्वभाव का वर्णन किया एवं देवराज ब्राह्मण का चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि कथा में वर्णित है कि ब्राह्मण कुल में जन्म लेने के बाद भी जिस प्रकार से अपने धर्म से च्युत होकर आधर्म की मार्ग का अनुसरण किया और सदा आधर्म के मार्ग पर चलकर ब्राह्मणाचित जो कर्म है उनका पालन नहीं किया। लेकिन जीवन के अंतिम समय प्रथम बार प्रयागराज में भगवान शिव की श्री शिव महापुराण की कथा का रसपान किया। और पाप का प्राश्चित किया न केवल इस पुण्य के फल स्वरुप देवराज ब्राह्मण का उद्धार हो गया, अर्थात भगवान शिव की कथा जीवन के बड़े से बड़े पाप, ताप और संताप को दूर कर सकती है। जीवन मे कितनी भी बड़ी संकट हो उन्हें देवों के देव महादेव हर लेते है। महादेव हमेशा अपने भक्तों के निकट होता है। इस कलिकाल में सबसे सरल पूजा अगर किसी देव की है,तो वह देवाधिदेव महादेव की है।
उन्होंने कहाकि शिव पुराण को सुनने मात्र से ही व्यक्ति के समस्त पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं और इससे शिवलोक में स्थान मिलता है। प्राचीन काल में एक नगर में देवराज नाम का एक ब्राह्मण रहता था. वह बहुत ही दुर्बल, दरिद्र, और वैदिक धर्म से विमुख था। वह किसी प्रकार का कोई धार्मिक कार्य भी नहीं करता और हमेशा धन अर्जित करने में ही लगा रहता था। वह सभी के साथ छल करता था और धोखा देता था। उसने कमाए हुए धन को कभी भी धर्म के काम में नही लगाया। एक दिन वह घूमते हुए प्रयाग पहुंच गया और वहां उसने बहुत सारे साधु महात्माओं को देखा जो शिवालय में ठहरे हुए थे। वह भी शिवालय में ही ठहरा, लेकिन उसे बुखार आ गया। बुखार से उसका शरीर गर्म होने लगा और वह पीड़ा से तड़पने लगा। शिवालय में ही एक ब्राह्मण शिव कथा सुना रहे थे। बुखार से तपते हुए देवराज भी ब्राह्मण के मुख से शिव कथा सुन रहा था, लेकिन एक महीने के बाद बुखार के कारण उसका शरीर इतना पीड़ित हो गया कि, उसकी मृत्यु हो गई।