सीहोर। अंधकार रुपी अज्ञान को हटाने के लिए सत्संग और भगवान का स्मरण जरूरी है। इसी तरह शिव महापुराण का कथा जीव के पूर्व जन्मों के समस्त पापों को दूर करके शिव कृपा का मार्ग प्रशस्त करता है। भगवान शिव की कथा से शरीर, वाणी, मन द्वारा किए गए पाप धूल जाते हैं। कलियुग में शिव कथा के समान कोई भी कल्याणकारी मार्ग सरल नहीं है। उक्त विचार शहर के प्राचीन श्री हंसदास मठ, दशहरा बाग उमा शंकर धाम कालोनी के पास जारी सात दिवसीय संगीतमय श्री शिव महापुराण के छठवे दिन कथा वाचक पंडित चेतन उपाध्याय ने कहे। श्री हंसदास मठ में स्फटिक श्री रिद्धेश्वर महादेव प्राण-प्रतिष्ठा सिद्ध श्री हनुमान महाराज की स्थापना का आयोजन किया जा रहा है। महोत्सव का आयोजन महंत श्री हरिरामदास महाराज के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। शिव महापुराण के अलावा सोमवार को हरिरामदास महाराज के सानिध्य में प्रतिमाओं का सुख शय्याधिवास, प्राण-प्रतिष्ठा, नित्य पूजन, हवन और आरती आदि का दिव्य आयोजन किया गया। वहीं मंगलवार को कलशारोहण, मूर्ति श्रृंगार दर्शन, पूर्णाहुति, महाआरती, पुष्पांजली, भंडारा महोत्सव के अंतर्गत किया जाएगा। इस मौके पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहेंगे।
सोमवार को कथा के छठवें दिन कथा वाचक पंडित श्री उपाध्याय ने कहा कि शिव का अर्थ है कल्याण, शांति, अविनाशी और प्रकाशमान। शिव उपासक को सांसारिक बंधन बांधकर नहीं रख सकते। महादेव हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। शिव पूजन से समस्त देवताओं के पूजन का फल मिलता है। शिव पुराण भगवान शिव की वाणी है। सर्वप्रथम स्वयं भगवान शिव ने शिव कथा सनत कुमार जी को तथा सनत कुमार ने वेदव्यास जी को शिव पुराण का ज्ञान दिया था। व्यासजी ने सृष्टि के कल्याण के लिए विस्तार से इसका वर्णन किया। शिव पुराण की कथा मोक्ष देने वाली है जैसे की समस्त नदियों में गंगा जी सर्वोपरि है ऐसे समस्त पुराण में से शिव पुराण की कथा परम मंगलकारी है।

चित स्वरूप शक्तिशाली जगत के ईश्वर कण-कण में विराजते
उन्होंने कहाकि चित स्वरूप शक्तिशाली जगत के ईश्वर कण-कण में विराजते है। वर्तमान युग में हर कोई भगवान की तलाश में भटकता फिर रहा है। भगवान की शरण में जाने के लिए किसी तलाश की आवश्यकता नही, क्योंकि वह तो संसार में हर जगह विद्यमान है। सभी वस्तुओं में भगवान के दर्शन करना ही उच्च कोटि की भक्ति है। राग द्वेष, ईर्ष्या व समाज में फैली बुराइयां तभी समाप्त हो सकेंगी, जब हर प्राणी एक-दूसरे को भागवत भाव से देखेगा। जीवन में परमपिता परमात्मा से बढ़कर कोई भी नहीं है। दिव्य ज्ञान से ही प्रभु को प्राप्त किया जा सकता है। दिव्य ज्ञान या ब्रह्मा ज्ञान के चार घटक मानव मस्तिष्क में हमेशा मौजूद रहते है। प्रत्येक मनुष्य चाहे वह शिक्षित हो या अशिक्षित हो या अशिक्षित ज्ञान को प्राप्त कर सकते है। दिव्य ज्ञान के अंतर्गत चार चीजें है। पवित्र नाम, दिव्य प्रकाश, आंतरिक संगीत एवं पवित्र-अमृत जो कि मानव के अंदर में ही है और प्राप्त किए जा सकते है। एक अंधा भी दिव्य ज्योति को देख सकता है और बहरा आंतरिक संगीत सुन सकता है। दिव्य ज्ञान सबसे ऊंचा है। स्वामी विवेकानंद बहुत विधाओं का ज्ञान प्राप्त कर भी यह महसूस करते रहे कि कहीं कोई चूक रह गई है। रामकृष्ण परमहंस से मिले दिव्य ज्ञान की दीक्षा के बाद ही उन्होंने पूर्णता महसूस की और शाश्वत शांति प्राप्त की।
आज सुबह दस बजे से शिव महापुराण और दोपहर बारह बजे भंडारा
महंत श्री हरिरामदास महाराज के मार्गदर्शन में श्री हंसदास मठ में स्फटिक श्री रिद्धेश्वर महादेव प्राण-प्रतिष्ठा सिद्ध श्री हनुमान महाराज की स्थापना का आयोजन किया जा रहा है, मंगलवार को शिव महापुराण सुबह दस बजे आरंभ होगी। इसके अलावा दोपहर बारह बजे भव्य भंडारे का आयोजन किया जाएगा। इसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे। समिति और भक्ताओं ने पूर्णाहुति और भंडारे में शामिल होने की अपील की।