फिल्म ‘बागी बेचारे’ की शूटिंग के लिए भोपाल आए एक्टर अभिषेक बनर्जी ने डीआर न्यूज इंडिया से खास बातचीत में कहा-
द्वारका राजपूत, भोपाल/ मैं काफी खुशकिस्मत रहा हूं कि फिल्मेकर्स खुद मेरे पास अलग-अलग तरह के किरदार लेकर आते हैं। हां,कभी कबार ऐसा होता है कि सिमिलर पैटर्न में कुछ किरदार आते हैं लेकिन मोस्टली में वो कैरेक्टर रिपीट नहीं करता क्योंकि मुझे लगता है कि उसमें मजा नहीं आएगा। मेरे हिसाब से किरदार से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि मैं किस कहानी का पार्ट हूं क्योंकि कहानी बढ़िया है तो मैं संतुष्ट रहता हूं कि लेखक ने उसमें किरदार भी बढ़िया लिखे होंगे। यह बात स्त्री,स्त्री-2 भेड़िया और वेदा जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से लोगों का दिल जीत चुके एक्टर अभिषेक बनर्जी ने डीआर न्यूज इंडिया से खास बातचीत में कही। वह भोपाल में फिल्म ‛बागी बेचारे’ की शूटिंग के लिए आए हुए हैं।
अभिषेक ने कहा कि मैं पहले कास्टिंग डायरेक्टर था और लोगों के टैलेंट को पहचानने का काम करता था लेकिन मेरे टैलेंट को देवाशीष मखीजा ने पहचाना जिन्होंने ‘जोराम’ बनाई थी उन्होंने मुझे एक डार्क फिल्म ‛अज्जी’ में मुझे कास्ट किया। उसके बाद ‛अमर कौशिक’ ने मेरे टैलेंट को पहचाना और उन्होंने मुझे ‛स्त्री’ में ‛जना’ का रोल दिया, जो मेरे करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुआ।
उम्मीद से ज्यादा प्यार मिला
अभिषेक बनर्जी ने कहा कि स्त्री 2 फिल्म की शूटिंग करते वक्त हमें पता था कि हम एक बड़ी फिल्म बना रहे हैं, क्योंकि जिस लेवल पर उस फिल्म की शूटिंग हो रही थी वह काफी बड़ा था, तो हमें एक उम्मीद जरूर थी स्त्री 2 को अच्छी ओपनिंग मिलेगी लेकिन यह नहीं पता था कि लोग इसे इतना प्यार देंगे। लोगों का जो प्यार है इस फ्रेंचाइजी को लेकर, इसके कैरेक्टर्स को लेकर तो मुझे लगता है कि वह पैसों से काफी बढ़कर है।
जॉन अब्राहम के हेल्थ टिप्स नहीं कर पा रहा फॉलो
अभिषेक ने कहा कि ‛वेदा’ फिल्म में मेन विलेन का रोल निभाते हुऎ सबसे बड़ा चैलेंज यह था किलो मुझे नेगेटिव रोल में एक्सेप्ट करेंगे या नहीं क्योंकि अगर आप जॉन अब्राहम के साथ काम कर रहे हो और वह भी एक एक्शन फिल्म हो तो मेरे लिए वह बहुत बड़ी शिक्षा थी कि किस तरह से इस तरह की मां फिल्म में एक्टिंग करूं कि ऑडिएंस को विश्वसनीय लगे। और मैं लोगों का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझे ‛वेदा’ के लिए इतना प्यार दिया। ‛वेदा’ फिल्म की शूटिंग के दौरान जॉन अब्राहम ने मुझे कॉफी हेल्थ टिप्स दिए थे हालांकि यह अलग बात है कि मैं उन्हें फॉलो नहीं कर पा रहा हूं जॉन अब्राहम को देखकर किसी को भी प्रेरणा मिल सकती है। उन्हें देखकर लगता है कि इस जीवनकाल में तो उनके जैसा शरीर बनाना संभव नहीं है। उनसे सीखने को मिलता है कि किस तरह का डिसिप्लिन उन्होंने अपने पूरे जीवन मेंटेन किया।
दर्शकों को हंसाना काफी चैलेंजिंग
अभिषेक ने आगे कहा, दर्शकों को हंसाना काफी चैलेंजिंग है क्योंकि मुझे लगता है कि मेरा चेहरा डरावना है तो मेरे चेहरे को देखकर डर पैदा हो ही जाता है लेकिन हंसाना बहुत बड़ी जिम्मेदारी है और मैं भगवान का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझे एक ह्यूमर और टाइमिंग, मैं ज्यादा चीजों को सीरियसली नहीं लेता हू। मैं लाइफ को एक फनी स्टोरी की तरह जीता हूं।आपको अपने हमारे को बैलेंस करना पड़ता है ताकि मम्मी डैडी से लेकर दादा-दादी तक उसे समझ सके तो उन सारी चीजों को ध्यान में रखकर काम करना पड़ता है।
बायोपिक में मिलता है किसी ओर की जिंदगी जीने का मौका
अभिषेक ने कहा, अगर मुझे बायोपिक करने का मौका मिले तो मैं जीवन में सुभाषचंद्रबोस का रोल बड़े पर्दे पर जीवंत करना चाहूंगा। मुझे कभी-कभार लगता है कि कैरेक्टर में घुसने का एक लालच यह भी होता है कि बायोपिक में आपको एक ऐसी जिंदगी के बारे में पता चलता है जिस जिंदगी को किसी ने जिया है और आपको वह जिंदगी वापस जीने का मौका मिलता है। अगर मुझे मौका मिले तो मैं बिल्कुल सुभाष चंद्र बोस की बायोपिक करना चाहूंगा।