जहां इतिहास बोलता है”: मध्यप्रदेश के पुरातत्व, संग्रहालय और अभिलेखागार की विरासत पर ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. मनीषा शर्मा से विशेष बातचीत
भोपाल। मध्यप्रदेश को यूं ही ‘हृदय स्थल’ नहीं कहा जाता। यहां की धरोहरें, ऐतिहासिक स्थलों की भव्यता और सांस्कृतिक समृद्धि, इस भूमि को न सिर्फ भारत बल्कि वैश्विक पटल पर एक खास पहचान देती हैं। संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय, मध्यप्रदेश के प्रयासों से राज्य की यह धरोहर और भी सजीव हो रही है। डीआर न्यूज इंडिया ने संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय, मध्यप्रदेश की ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. मनीषा शर्मा से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने मध्यप्रदेश की आर्कियोलॉजिकल वैल्यू, म्यूजियम्स की खासियत, आर्काइव्स की विरासत, हालिया खुदाइयों और भविष्य की योजनाओं पर गहराई से बात की।
1. एमपी के आर्कियोलॉजी, आर्काइव्स और म्यूजियम्स के ऐसे कौन से एसेट्स और ट्रेजर्स हैं जो इंटरनेशनल टूरिस्ट्स को अट्रैक्ट करेंगे?
– मध्य प्रदेश तो आर्कियोलॉजिकल मार्वल्स, शानदार कलाकृतियों और राजसी म्यूजियम्स का खजाना है। यहां हिस्ट्री और कल्चर की बहुत सारी अमेजिंग चीजें हैं। मध्य प्रदेश का आर्कियोलॉजी, आर्काइव्स और म्यूजियम्स डायरेक्टरेट बहुत सारे मॉन्यूमेंट्स और साइट्स को प्रोटेक्ट करता है। ये सब प्रीहिस्टोरिक टाइम से लेकर कॉलोनियल एरा तक के हैं, जो इस रीजन की रिच हिस्ट्री और कल्चरल इवोल्यूशन दिखाते हैं। ये 495 मॉन्यूमेंट्स और 44 म्यूजियम्स को संभालते हैं। स्टेट में मौर्य, शुंग, सातवाहन और गुप्त पीरियड्स से लेकर कटनी में झिंझिरी की रेयर रॉक आर्ट साइट जैसी आइकॉनिक जगहें हैं। यहां प्रतिहार, परमार, कलचुरी और कच्छापघाट डायनेस्टीज के कमाल के टेंपल कॉम्प्लेक्स भी हैं, साथ ही परमार, प्रतिहार, बुंदेलास, बघेलास, मुगल्स और सल्तनत द्वारा बनाए गए फोर्ट्स भी हैं, जो मप्र को एक प्राइम हेरिटेज और स्पिरिचुअल डेस्टिनेशन बनाते हैं।
मप्र के आर्टिस्टिक एसेट्स ओरछा और धुबेला जैसी जगहों पर देखे जा सकते हैं, जो इस्लामिक, राजपूत और रीजनल आर्टिस्टिक इन्फ्लुएंसेस का यूनीक ब्लेंड दिखाते हैं। इन साइट्स पर रामायण, कृष्ण लीला और दूसरी हिस्टोरिकल घटनाओं को दर्शाने वाली कुछ बेस्ट वॉल पेंटिंग्स हैं। इसके अलावा, नरवर फोर्ट और विदिशा डिस्ट्रिक्ट में पथरी और बडोद के मंदिर मध्य प्रदेश के आर्कियोलॉजिकल एसेट्स और हेरिटेज ट्रेजर्स की शान दिखाते हैं।
2. हमें अपने म्यूजियम्स और उनकी खासियतों के बारे में बताएं, जो मप्र को ‘मस्ट विजिट डेस्टिनेशन’ बनाते हैं?
– म्यूजियम्स हिस्ट्री, कल्चर और आर्ट को प्रिजर्व करने और लोगों को एजुकेट करने के लिए बहुत इंर्पोटेंट होते हैं। ये स्कल्प्चरल ब्रिलियंस और कल्चरल प्रिजर्वेशन का सिंबल हैं। पुरातत्व, अभिलेखागार और संग्रहालय निदेशालय के पास मध्य प्रदेश में 7 स्टेट म्यूजियम्स, 22 डिस्ट्रिक्ट-लेवल म्यूजियम्स, 9 लोकल म्यूजियम्स और 6 साइट म्यूजियम्स हैं। हर म्यूजियम में एक कल्चरल मास्टरपीस, एक एंटीक रेलिक या एक हिस्टोरिकल ज्वेल होता है, जैसे फॉसिल्स, प्रीहिस्टोरिक आइटम्स, स्कल्प्चर्स, ब्रोंजेस, मैन्यूस्क्रिप्ट्स, मिनिएचर पेंटिंग्स, रेयर म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स, कॉइन्स, वेपन्स आदि।
भोपाल के स्टेट म्यूजियम में 17 थीमेटिक गैलेरीज हैं, जो रेयर हिस्टोरिकल स्कल्प्चर्स दिखाती हैं, जैसे गुजरी महल म्यूजियम से शालाभंजिका, योगिनी और पिलर कैपिटल्स, भरहुत यक्षी, लकुलीश, स्खलित वासना, चामुंडा और पाम लीफ कैपिटल। साथ ही धुबेला की खास योगिनी और चंदेल स्कल्प्चर्स। दूसरे कमाल के म्यूजियम्स, खासकर गुजरी महल म्यूजियम, सेंट्रल म्यूजियम इंदौर, स्टेट म्यूजियम भोपाल, मंदसौर म्यूजियम, धुबेला म्यूजियम, जबलपुर म्यूजियम और विदिशा म्यूजियम में आर्टिफैक्ट्स का एक यूनीक कलेक्शन है जो अलग-अलग पीरियड्स और डायनेस्टीज की रिच आर्टिस्टिक हेरिटेज और क्राफ्ट्समैनशिप को दिखाता है। ये म्यूजियम्स एन्शिएंट इंडिया की आर्ट, आइकोनोग्राफी और आर्टिस्टिक एक्सीलेंस की झलक देते हैं, जो उन्हें मध्य प्रदेश में एक मस्ट-विजिट डेस्टिनेशन बनाते हैं।
3. मध्य प्रदेश के आर्कियोलॉजिकल, हिस्टोरिकल और कल्चरल मॉन्यूमेंट्स के बारे में आप ग्लोबल ट्रैवलर्स को क्या यूनीक एक्सपीरियंस देते हैं?
– मप्र को अक्सर हार्ट ऑफ इंक्रेडिबल इंडिया कहा जाता है. यहां तीन यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स (खजुराहो टेंपल्स, सांची स्तूपा, और भीमबेटका रॉक शेल्टर्स) और दो ग्लोबली रेवरेड ज्योतिर्लिंग- उज्जैन का महाकालेश्वर टेंपल और ओमकारेश्वर हैं। स्टेट की यूनेस्को टेंटेटिव लिस्ट में भी 11 हेरिटेज साइट्स हैं।
स्टेट रिस्पॉन्सिबल और सस्टेनेबल टूरिज्म प्रैक्टिसेस पर काम करता है, ये रूरल-टूरिज्म को फार्मस्टेज और होमस्टेज के साथ प्रमोट करता है. योग और मेडिटेशन कैंप्स के थ्रू वेलनेस टूरिज्म को बढ़ावा देना। इसके साथ ही, हम ऐसे इटिनरेरीज बनाते हैं जो ग्लोबल टूरिस्ट्स की जरूरतों के हिसाब से होते हैं, ये एन्श्योर करते हुए कि उन्हें सबसे अच्छे आर्कियोलॉजिकल, हिस्टोरिकल और कल्चरल एक्सपीरियंस मिलें. हम सभी डेस्टिनेशंस पर वुमेन सेफ्टी पर जोर देते हैं। प्रॉपर कल्चर नोटिस बोर्ड क्यूरेटेड टूर्स, साइट्स तक ईजी एक्सेसिबिलिटी। हम साइट्स/मॉन्यूमेंट्स पर ऐसा एन्वायर्नमेंट क्रिएट कर रहे हैं जिससे टूरिस्ट्स को फैक्चुअल इंफॉर्मेशन मिल सके।
ये सब मप्र को एक ऑफ-बीट मल्टी-स्पेशलिटी डेस्टिनेशन बनाता है, जो हेरिटेज, कल्चर, वाइल्डलाइफ, स्पिरिचुअल और एडवेंचर के लिए ग्लोबली ट्रैवलर्स को अट्रैक्ट करता है।
4. आपकी हालिया खुदाई (रिसेंट एक्सकवेशंस) के क्या रिजल्ट्स रहे हैं?
– नर्मदा नदी के किनारे एक बहुत ही इम्पोर्टेंट डिस्कवरी हुई है, जिसने लगभग 4,000 साल पुरानी सभ्यता के आर्टिफैक्ट्स अनकवर किए हैं, जो इस रीजन के बारे में बहुत डीप इनसाइट्स देते हैं। आर्कियोलॉजिस्ट्स ने नर्मदा नदी के किनारे 30 साइट्स की खुदाई की है, जिसमें चालकोलिथिक टूल्स, सातवाहन कॉइन्स और परमार-एरा स्टेपवेल्स जैसी चीजें मिली हैं, जो इस एरिया की हिस्टोरिकल सिग्निफिकेंस को बढ़ाती हैं।
महेश्वर में एक्सकवेशंस से 2000बीसीई से लेकर मराठा पीरियड तक की हैबिटेशन की स्ट्रेटिफाइड लेयर्स मिली हैं। ये फाइंडिंग्स न केवल नर्मदा वैली के कंटीन्यूअस ह्यूमन हैबिटेशन के क्रैडल होने का रोल हाईलाइट करती हैं, बल्कि मप्र की इनवैल्यूएबल कल्चरल लेगेसी को प्रिजर्व और स्टडी करने के हमारे चल रहे एफर्ट्स की इम्पोर्टेंस पर भी जोर देती हैं।
5. मध्य प्रदेश की चालकोलिथिक साइट्स से मिले आर्टिफैक्ट्स के बारे में डिटेल में बताएं?
– मप्र के मालवा रीजन में बहुत सारी आर्कियोलॉजिकल डिस्कवरीज हुई हैं, जिसमें स्टोन टूल्स जैसे माइक्रोलिथ्स, चालकोलिथिक पॉटरी और कॉपर इम्प्लीमेंट्स शामिल हैं। यह रीजन बहुत सारी चालकोलिथिक साइट्स का घर है। मप्र में पहचानी गई कुछ मेजर चालकोलिथिक कल्चर्स में जोरवे, मालवा, कायथा और अहार शामिल हैं।
6. हमें अपने आर्काइव्स सेक्शन की कुछ दिलचस्प बातें बताएं?
– मप्र का आर्काइव्स सेक्शन सिर्फ डॉक्यूमेंट्स का एक रिपॉजिटरी नहीं है, ये इंडिया के हार्टलैंड, मध्य प्रदेश यानी वो लैंड जहां हिस्ट्री बोलती है, का एक लिविंग टेस्टामेंट है!
आज, मध्य प्रदेश का हमारा आर्काइव्स डिवीजन 6.88 करोड़ डॉक्यूमेंट्स और 12,000 रेयर बुक्स का एक एक्स्ट्राऑर्डिनरी कलेक्शन सेफगार्ड करता है, जिसमें हिंदी, इंग्लिश, उर्दू, पर्शियन और यहां तक कि मराठी/मोडी और बुंदेली जैसी रीजनल स्क्रिप्ट्स भी शामिल हैं। हमारी सबसे पावरफुल इनिशिएटिव्स में से एक आर्काइवल रिकॉर्ड्स को पब्लिश करना है. 1857 के वार आॅफ इंडिपेंडेंस पर हमारे वॉल्यूम्स अनटोल्ड स्टोरीज रिवील करते हैं। इसमें जबलपुर के रिवोल्ट्स (वॉल्यूम 1), बुंदेली अकाउंट्स (वॉल्यूम 2), और पर्शियन/उर्दू रिकॉर्ड्स के थ्रू पैन-इंडियन सॉलिडेरिटी (वॉल्यूम 3). 1857 के बाद, हमने इंदौर, भोपाल और ग्वालियर में प्रिंसली स्टेट नेगोशिएशंस को डॉक्यूमेंट किया है. ये सिर्फ बुक्स नहीं हैं, ये एक्सेसिबल हिस्ट्रीज हैं। इसलिए, डिपार्टमेंट का आर्काइव्स सेक्शन मध्य प्रदेश की सालों की हिस्ट्री और कल्चरल हेरिटेज को स्टोर करता है।
7. आप इंटरनेशनल मार्केट में, खासकर हिस्ट्री बफ्स को खुद को कैसे प्रमोट करते हैं?
– हम अपने आर्कियोलॉजिकल मार्वल्स, आर्काइवल जेम्स और म्यूजियम्स को पब्लिक अवेयरनेस, स्टूडेंट्स, स्कॉलर्स के लिए इंटरैक्टिव वर्कशॉप्स और आर्कियोलॉजिकल बुक्स पब्लिश करके प्रमोट करने के लिए कई की इनिशिएटिव्स लेते हैं, जो हमारी रीसेंट डिस्कवरीज और रिच हिस्ट्री के नॉलेज को वर्ल्डवाइड रीडर्स तक फैलाते हैं, जिससे इंटरनेशनल अटेंशन मिलती है.
हम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का एक्टिवली यूज करते हैं ताकि अवेयरनेस क्रिएट कर सकें और अपनी कल्चरल हेरिटेज को प्रिजर्व करने की सिग्निफिकेंस को प्रमोट कर सकें। इसके अलावा, लाइब्रेरी रिसोर्सेज का डिजिटाइजेशन रेयर बुक्स और मैन्यूस्क्रिप्ट्स को दुनिया भर के रिसर्चर्स और हिस्ट्री एन्थुसिएस्ट्स के लिए ज्यादा एक्सेसिबल बना रहा है।
हम न्यूजलेटर्स, इंटरनेशनल प्रेस रिलीज, आर्टिकल्स पब्लिश करते हैं और स्पीकर्स के साथ वेबिनार्स ऑर्गनाइज करते हैं जो ग्लोबल प्लेटफॉर्म्स पर मध्य प्रदेश की लेगेसी को एप्रिशिएट और प्रमोट करते हैं. इसके अलावा, हम इंटरनेशनल और नेशनल ऑर्गेनाइजेशंस तक आउटरीच करते हैं ताकि मध्य प्रदेश के आर्कियोलॉजी और हेरिटेज के बारे में अपने रिसोर्सेज और एक्सपर्ट इनसाइट्स शेयर कर सकें।
8. फिल्म टूरिज्म डिपार्टमेंट के लिए कितना सक्सेसफुल रहा है?
– फिल्म टूरिज्म मप्र में कल्चरल प्रिजर्वेशन और इकोनॉमिक ग्रोथ के लिए एक डायनामिक फोर्स बनकर उभरा है। अपनी हेरिटेज साइट्स को फिल्म शूट्स, प्री-वेडिंग फोटोग्राफी और ड्रोन सिनेमैटोग्राफी के लिए खोलकर, हमने टूरिस्ट्स, फॉरेनर्स, वेडिंग फोटोग्राफर्स और जनरल पब्लिक से लोकेशन इनक्वायरीज में एक रिमार्केबल इंक्रीज देखा है।
ग्वालियर फोर्ट, चंदेरी और ओरछा फोर्ट्स और छतरियां जैसे कई आइकॉनिक लोकेशंस ने मेजर बॉलीवुड फिल्म्स और ओटीटी रिलीज के लिए स्टनिंग बैकड्रॉप्स के रूप में काम किया है. मध्य प्रदेश की लोकेशंस ने भूल भुलैया 3, स्त्री, लापता लेडीज, लुका छुपी, पंचायत, राजनीति, मोतीचूर चकनाचूर, लूडो और तेवर आदि जैसी कई रिमार्केबल मूवीज के बैकड्रॉप के रूप में काम किया है. यह इनिशिएटिव कन्जर्वेशन एफर्ट्स को प्रमोट करने में हेल्प करता है और इस तरह हमारी हेरिटेज को ग्लोबल ऑडियंस तक इंट्रोड्यूस करता है।
9. 2025-26 के लिए आपकी क्या योजनाएं हैं?
– डायरेक्टरेट 500+ मॉन्यूमेंट्स की ओवरसीज करता है, जिन्हें तीन ग्रेड्स में कैटेगराइज किया गया है:
ग्रेड ए: हिस्टोरिकली सिग्निफिकेंट और इम्पेकेबली मेंटेंड।
ग्रेड बी: करेंटली रिकंस्ट्रक्शन और प्रिजर्वेशन के अंडर।
ग्रेड सी: खंडहरों में, अर्जेंट अटेंशन की जरूरत है।
2025-26 के लिए, हमारा की फोकस सभी मॉन्यूमेंट्स को ग्रेड ए स्टैंडर्ड्स पर रिस्टोर और अपग्रेड करना है। यह एफर्ट मध्य प्रदेश की रिच आर्कियोलॉजिकल और कल्चरल हेरिटेज को प्रोटेक्ट और प्रमोट करने के हमारे मिशन के साथ अलाइन करता है- ये एन्श्योर करना कि ये एक ऐसी लैंड बनी रहे जहां हिस्ट्री बोलती है. हम पास्ट को फ्यूचर से ब्रिज करने का स्ट्राइव करते हैं, अपनी शेयर्ड हिस्ट्री के लिए डीप सेंस ऑफ प्राइड और रिस्पॉन्सिबिलिटी इन्स्टिल करते हैं. हमारी कमिटमेंट स्टेट के रिच कल्चरल और हिस्टोरिकल ट्रेजर्स को सेफगार्ड करने में है, साथ ही उन्हें फ्यूचर जनरेशंस के लिए ज्यादा एक्सेसिबल और रेलेवेंट बनाना है।