भोपाल-इंदौर में रिमझिम, उज्जैन में तेज बारिश हुई

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भोपाल / मध्यप्रदेश में आंधी-बारिश का दौर जारी है। मई के बाद जून में भी प्रदेश के किसी न किसी जिले में बारिश हो रही है। मंगलवार को उज्जैन, नीमच, मंदसौर और धार में तेज बारिश हुई। भोपाल-इंदौर के कुछ इलाकों में भी रिमझिम बारिश हुई।

उज्जैन में सुबह करीब 11.45 पर तेज बारिश शुरू हुई, जो आधे घंटे तक चली। इसके बाद धूप निकल आई। धार के मनावर में तेज हवाओं के साथ पानी गिरा। नीमच के जावद में 2 घंटे की लगातार बारिश में मोरवन नाला ओवरफ्लो हो गया। मंदसौर में सुबह 10 बजे से कहीं तेज तो कहीं हल्की बारिश जारी है। जिले के खजूरी आंजना गांव में नाले उफान पर आ गए हैं। रायसेन में 15 मिनट की बारिश में सड़कों पर पानी भर गया। खरगोन में भी थोड़ी देर की बारिश में अनाज मंडी में पानी भरने से मक्का भीग गया।

मौसम विभाग ने अगले कुछ घंटों में मध्यप्रदेश के कई जिलों में तेज आंधी और बारिश का अलर्ट जारी किया है। इंदौर शहर के अलावा झाबुआ, अलीराजपुर, धार, जबलपुर, उमरिया, रीवा, सतना, शहडोल और नरसिंहपुर जिले में बारिश का अलर्ट है। इसी तरह भोपाल, ग्वालियर, चंबल, सागर और उज्जैन संभाग में भी बारिश का दौर जारी रहेगा।

नौतपा के आखिरी दिन भी हुई बारिश

मध्यप्रदेश में नौतपा के आखिरी दिन भी बारिश हुई। मौसम विभाग के अनुसार, पिछले 24 घंटे में भोपाल, इंदौर समेत कुल 30 जिलों में आंधी-बारिश हुई। इनमें ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, गुना, श्योपुर, मुरैना, भिंड, जबलपुर, डिंडौरी, कटनी, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, सिवनी, मंडला, बालाघाट, रतलाम, शाजापुर, धार, अलीराजपुर, बड़वानी, देवास, खंडवा, बैतूल, रायसेन, सागर, दमोह, उमरिया और अनूपपुर भी शामिल हैं।

सबसे ज्यादा बारिश अलीराजपुर के काठियावाड़ और मंडला शहर में डेढ़ इंच बारिश हुई। मौसम विभाग के अनुसार, पिछले 24 घंटे में 52 शहरों में बारिश हुई।

इंदौर में सबसे ज्यादा रही हवा की रफ्तार

दूसरी ओर, कई शहरों में तेज आंधी भी चली। इंदौर में सबसे ज्यादा 56 किलोमीटर प्रतिघंटा रफ्तार रही। भोपाल में 48Km,जबलपुर, आगर-शाजापुर में 47Km, ग्वालियर में 43Km, शिवपुरी में 41Km, मुरैना में 39Km, मंडला, सागर-अनूपपुर में 37Km, गुना में 36Km और बैतूल में 34Km दर्ज की गई।

अभी प्री-मानसून एक्टिविटी

सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने बताया कि मानसून से पहले प्रदेश में प्री-मानसून की एक्टिविटी जारी है। दो साइक्लोनिक सर्कुलेशन सिस्टम की वजह से प्रदेश में कहीं तेज आंधी चल रही है तो कहीं बारिश हो रही है। अगले चार दिन यानी, 6 जून तक ऐसा ही मौसम बना रहेगा।

अभी एक ही जगह पर ठहरा मानसून

इधर, प्रदेश में मानसून की एंट्री 10 जून के बाद ही होने की संभावना है। मौसम विभाग की माने तो अभी मानसून महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ में एक ही जगह पर ठहरा है। पिछले कुछ दिन से ये आगे नहीं बढ़ा है।

इस साल मई में टूटे रिकॉर्ड, गर्मी की बजाय आंधी-बारिश

पूरे मई महीने में आंधी, बारिश और ओले वाला मौसम रहा। एक भी दिन ऐसा नहीं रहा, जब प्रदेश के किसी न किसी जिले में आंधी-बारिश न हुई हो। एमपी में ऐसा पहली बार हुआ। भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर-जबलपुर समेत कुल 53 जिले भीग गए। सिर्फ निवाड़ी ही ऐसा जिला रहा, जहां बूंदाबांदी तो हुई, लेकिन दर्ज नहीं हो सकी। दूसरी ओर, मई महीने में बारिश के कई रिकॉर्ड भी टूटे। इंदौर में 139 साल में सबसे ज्यादा 4.6 इंच पानी गिरा। वहीं, उज्जैन में सबसे ज्यादा बारिश का ओवरऑल रिकॉर्ड बना।

इससे पहले इंदौर में साल 1886 के मई महीने में 107.7 मिमी यानी, 4.2 इंच पानी गिरा था, जबकि इस बार 114.8 मिमी यानी, 4.6 इंच पानी गिर गया है। इस तरह 139 साल में इंदौर का रिकॉर्ड टूट गया है। उज्जैन में मई की बारिश का ओवरऑल रिकॉर्ड बना है। इस बार 111.8 मिमी यानी, 4.3 इंच से ज्यादा पानी गिरा है। साल 2021 में कुल मासिक बारिश 65 मिमी (2.5 इंच) हुई थी। इस हिसाब से उज्जैन में मई की बारिश का ओवरऑल रिकॉर्ड बना है।

दूसरी ओर, मई में अप्रैल जितनी गर्मी नहीं रही। अप्रैल में कई शहरों में तापमान 45 डिग्री तक पहुंच गया था। इस साल मई में प्रदेश के किसी भी शहर में दिन का तापमान 43 डिग्री तक भी नहीं पहुंचा। नौतपा में भी कम ही गर्मी रही। नौगांव, खजुराहो, टीकमगढ़, ग्वालियर, दमोह, शिवपुरी जैसे शहरों में ही पारा 40 डिग्री के पार पहुंचा। बाकी शहरों में इससे काफी नीचे रहा।

क्यों रहा ऐसा मौसम?

मई में भीषण गर्मी की बजाय आंधी-बारिश होने के पीछे क्या वजह रही? इसके बारे में मौसम वैज्ञानिक डॉ. सुरेंद्रन ने जाना। उन्होंने बताया कि मई की शुरुआत से आखिरी तक प्रदेश में साइक्लोनिक सर्कुलेशन, वेस्टर्न डिस्टरबेंस (पश्चिमी विक्षोभ) और टर्फ की एक्टिविटी देखने को मिली। लगातार सिस्टम एक्टिव होते रहे। इस वजह से आंधी-बारिश का दौर भी चलता रहा। आखिरी दिन भी कुछ जिलों में मौसम बदला रहा।

जून में ऐसा रहेगा रहेगा मौसम

जून में कैसा मौसम रहेगा? इसे लेकर मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी टर्फ और साइक्लोनिक सर्कुलेशन सिस्टम की एक्टिविटी है। इस वजह से अगले चार दिन यानी, 5 जून तक आंधी-बारिश का अलर्ट है। कई शहरों में दिन-रात के पारे में थोड़ी बढ़ोतरी हो सकती है। उमस भी बढ़ जाएगी।

इधर, मानसून 7 से 10 जून के बीच प्रदेश में प्रवेश कर सकता है। यदि पिछले 10 साल के आंकड़ों पर नजर डाले तो मानसून के एंटर होने से पहले प्रदेश में तेज गर्मी का असर रहता है। सबसे ज्यादा ग्वालियर-चंबल गर्म रहता है, जबकि भोपाल, इंदौर और उज्जैन संभाग भी जमकर तपते हैं। जून के आखिरी दिनों में ही टेम्प्रेचर से थोड़ी राहत मिलने लगती है। हालांकि, जून में रात का टेम्प्रेचर 8 से 10 डिग्री तक लुढ़क जाता है। अबकी बार भी ऐसा ही मौसम रहने का अनुमान है।

भोपाल में 15 जून तक तेज गर्मी

राजधानी में जून महीने में तेज गर्मी और बारिश दोनों का ही ट्रेंड है। पिछले 10 साल में 15 जून से पहले तेज गर्मी का असर रहा। 4 साल तो टेम्प्रेचर 45 डिग्री के पार पहुंच गया। वहीं, रात का टेम्प्रेचर 17.4 डिग्री तक आ गया। साल 2020 में सबसे ज्यादा 16 इंच बारिश हुई थी।

वहीं, पिछले साल 2024 में पूरे महीने 10.9 इंच पानी गिरा था। 10 साल में दूसरी बार इतनी बारिश हुई थी। वहीं, 24 घंटे में करीब 5 इंच पानी बरसा था।

इंदौर में पिछले साल हुई थी 4 इंच बारिश

जून में इंदौर में दिन के टेम्प्रेचर में खासी गिरावट होती है। पिछले 5 साल यानी- 2020, 2021, 2022, 2023 और 2024 में जून में कम गर्मी पड़ी। पारा 39.6 से 41.1 डिग्री के बीच रहा है। पिछले साल 40.6 डिग्री तक पारा पहुंचा था। इस महीने कोटे की 20 प्रतिशत तक बारिश हो जाती है। पिछले साल करीब 4 इंच पानी गिरा था।

बारिश के ओवरऑल रिकॉर्ड की बात करें तो साल 1980 में यहां जून महीने में 17 इंच से ज्यादा बारिश हुई थी। 24 घंटे में सर्वाधिक 5 इंच बारिश का रिकॉर्ड 23 जून 2003 को बना था। 3 जून 1991 में इंदौर में दिन का पारा 45.8 डिग्री तक पहुंच चुका है। वहीं, 12 जून 1958 को न्यूनतम तापमान 18.9 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था।

ग्वालियर में 47 डिग्री पार हो चुका टेम्प्रेचर

ग्वालियर में मई के बाद जून भी तेज गर्मी रहती है। 10 साल के आंकड़ों की बात करें तो साल 2019 में अधिकतम तापमान 47.8 डिग्री तक पहुंच चुका है। वहीं, 2024 में पारा 45.7 डिग्री दर्ज किया गया था। इस महीने अमूमन तापमान 45 से 46 डिग्री ही रहता है।

मौसम विभाग के अनुसार, 11 जून 2019 में पारा 47.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। वहीं, 1962 में पूरे महीने साढ़े 28 इंच बारिश हो गई थी। एक दिन में सर्वाधिक साढ़े 7 इंच बारिश का रिकॉर्ड 27 जून 1952 को बना था। साल 2024 में यहां पूरे महीने 5.7 इंच पानी गिरा था।

जबलपुर में 10 साल अच्छी बारिश

मानसून की एंट्री के साथ ही जबलपुर में अच्छी बारिश होती है। यही से मानसून की एंट्री होती है, इसलिए अन्य जिलों की तुलना में जबलपुर में अच्छा पानी गिरता है। साल 2015 से 2024 तक के आंकड़ों पर नजर डाले तो कोटे की 30% तक बारिश हो चुकी है। पिछले साल साढ़े 7 इंच से ज्यादा पानी गिरा था। इस बार भी जबलपुर संभाग के दक्षिण हिस्से से ही मानसून एंटर हो सकता है।

मौसम विभाग के अनुसार, जबलपुर में 1998 में एक महीने में करीब 30 इंच बारिश दर्ज की गई थी। यह ओवरऑल रिकॉर्ड है। वहीं, 16 जून 1882 में 24 घंटे में साढ़े 7 इंच बारिश हुई थी। पिछले साल भी पूरे महीने करीब 8 इंच पानी गिरा था।

उज्जैन में भी अच्छी बारिश का ट्रेंड

जून महीने में उज्जैन में भी अच्छी बारिश होने का ट्रेंड है। 2015 से 2024 के बीच उज्जैन में 2.5 से 8 इंच तक बारिश हो चुकी है। इस बार भी ऐसा ही मौसम रहने का अनुमान है। उज्जैन में बारिश के ओवरऑल रिकॉर्ड की बात करें तो साल 1970 में पूरे महीने साढ़े 13 इंच से ज्यादा बारिश हुई थी। वहीं, 24 घंटे में सर्वाधिक बारिश का रिकॉर्ड 15 जून 2001 को बना था। इस दिन करीब साढ़े 6 इंच बारिश हुई थी। साल 2024 में पूरे महीने साढ़े 5 इंच पानी गिरा था।

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