मुरवास / छिरारी ग्राम पंचायत में सरपंच और सचिव ने नियमों को ताक पर रखकर सरकारी योजनाओं की राशि का जमकर दुरुपयोग किया। पंचायत की मुखिया ने अपने बेटे अर्पित धाकड़ के नाम पर बिना तकनीकी मंजूरी और जीओ टैगिंग के लाखों रुपए का भुगतान करवा लिया।
मामले की जांच की जाए तो करोड़ों की अनियमितताओं का पर्दाफाश हो सकता है। ग्राम पंचायत छिरारी में पूरा तंत्र एक ही परिवार के कब्जे में है। अर्पित की मां स्वयं सरपंच हैं, जबकि चाचा हिम्मत सिंह धाकड़ पंचायत सचिव और रोजगार सहायक के रूप में काम देख रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि ग्राम पंचायत के सभी निर्णय एक ही परिवार के हित में लिए जा रहे हैं।
जीओ टेगिंग से बचने का निकाला रास्तारू पंचायत द्वारा बिना विकास योजना बनाए भुगतान किया गया, जो कि पूरी तरह नियमों के खिलाफ है। भुगतान में इस तरह की चालाकी बरती गई कि 50 हजार की सीमा से नीचे यानी 45 से 49 हजार तक के कामों की स्वीकृति और भुगतान पंचायत कर सकती है। इससे अधिक का भुगतान करने जीओ टैगिंग जरूरी है। इसलिए जीओ टेगिंग की झंझट से मुक्ति पाने छोटी-छोटी राशि का भुगतान किया गया है। खास बात यह है कि कानूनन सरपंच के रिश्तेदार को किसी भी प्रकार का भुगतान नहीं किया जा सकता, फिर भी अर्पित के नाम फर्जी भुगतान किया गया।
जांच कर करेंगे कार्रवाइर्
ग्राम पंचायतों में बेहतर काम होना चाहिए। इसको लेकर फोकस है। यदि कहीं कोई गड़बड़ी है तो जांच कराएंगे। दोषियों पर कार्रवाई होगी।
ओमप्रकाश सनोडिया, सीईओ, जिला पंचायत विदिशा।