पीएम आवास पूर्ण नहीं होनें, पर प्रदेश में सीहोर का 21वां स्थान

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सीहोर / पीएम आवास योजना (शहरी) का पहला चरण 31 दिसंबर को खत्म हो जाएगा। इसे देख लंबित कार्यों को प्राथमिकता से पूरा करने राज्य एवं केंद्र सरकार समीक्षा कर रही हैं। ऐसे में मई 2025 के प्रदर्शन के आधार पर प्रदेश के जिलों की रैंकिंग जारी की गई है। रैंकिंग के लिए 20 अंक तय किए गए हैं। स्वीकृत आवासों में फाउंडेशन स्तर तक का काम नहीं करने पर नकारात्मक 4 अंक हैं।
सीहोर जिले में आष्टा नगर पालिका ने 10.14 फीसदी अंक प्राप्त करके जिले में पहला स्थान और प्रदेश में 21वां स्थान प्राप्त किया है। वहीं आष्टा को मात्र 7.84 अंक मिले हैं जिससे आष्टा की स्थिति 83वीं है। जिले की शाहगंज और बुदनी नगर परिषद की स्थिति भी बेहतर है। बुदनी में 12.10 अंक प्राप्त करके प्रदेश में 24वां स्थान प्राप्त किया है। वहीं शाहगंज नगर परिषद ने 12.05 अंक प्राप्त करके 27वां स्थान हासिल किया है। जिले की अन्य निकायों की स्थिति और ज्यादा खराब है। शहरी की तरह ग्रामीण क्षेत्र में स्थिति और ज्यादा खराब है। अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र में भी आवास योजना मजाक बनी हुई है। कई जगह आवास तो हैं लेकिन छत नहीं है। दीवारों पर प्लास्टर भी नहीं है।
सीहोर जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कुल 7 हजार 92 भवन स्वीकृत हुए थे। इनमें से 7 हजार 24 भवनों का काम शुरु हुआ था। इसमें से अब तक 6 हजार 542 भवन बनकर तैयार भी हो चुके हैं। लेकिन यह प्रगति अन्य निकायों की अपेक्षा कम है। इसी तरह आष्टा में कुल 2 हजार 858 प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत किए गए थे। इनमें से 2703 आवास निर्माण का कार्य शुरु हुआ था जिसमें से 2185 आवास पूरे हो चुके हैं। पिछले पांच साल के आंकड़ों की तलाश और पड़ताल की तो सामने आया कि सीहोर निकाय में 123 आवास अभी तक किस्त नहीं मिलने के कारण अधूरे पड़े हैं। वहीं 90 लोगों ने पहली किस्त के एक लाख रुपए मिलने के बाद भी आवास की नींव नहीं रखी।
अधूरे निर्माण से बारिश में मुसीबत बता दें कि प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर निकायों में आए दिन विवाद सामने आते रहते हैं। कभी पार्षद तो कभी निकायों के कर्मचारियों पर आरोप- प्रत्यारोप लगाए जाते हैं। ऐसे में अब भी कई आवास अधूरे हैं। बारिश के दिनों में ये अधूरे आवास हितग्राहियों की परेशानी बढ़ाएंगे। हालांकि कहीं ऐसी स्थिति भी सामने आई है जिसमें पीएम आवास योजना की किस्त भी मिल गई है लेकिन हितग्राहियों ने यह राशि बीमारी में या अन्य किसी कार्य में खर्च कर दिए हैं।

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