सीहोर / प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी शहर के छावनी स्थित प्राचीन जगदीश मंदिर से पुरी की तर्ज पर भव्य रथ यात्रा निकाली गई थी, वहीं शनिवार की दोपहर को रात्रि विश्राम के पश्चात लौटने पर भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलदाऊ का भव्य स्वागत किया गया। इस मौके पर परमार समाज की ओर से पूर्व अध्यक्ष तुलसीराम पटेल, चल समारोह अध्यक्ष सुरेश परमार गब्बर, शिव परमार, विष्णु परमार रोलूखेड़ी, हरीश परमार, देव नारायण परमार, मुकेश परमार, महेन्द्र पटेल, प्रहलाद पटेल, भेरू सिंह परमार, अर्जुन परमार, शेर सिंह परमार प्रेम सिंह परमार, मांगीलाल, लखन परमार, विक्रम परमार आदि मौजूद थे। शनिवार को दोपहर जब समाजजन भगवान को लेने पहुंचे थे। यहां पर आस्था और उत्साह के साथ पूजा अर्चना की गई। इस मौके पर जिला संस्कार मंच के संयोजक मनोज दीक्षित मामा, मंदिर के पुजारी रघुनंदन व्यास, रोहित व्यास जिन्होंने पूर्ण विधि-विधान से पूजा अर्चना कर मंदिर में भगवान को विराजमान किया।
शनिवार की दोपहर में शहर के मंडी स्थित श्रीराम मंदिर से भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलदाऊ का विशेष श्रृंगार आदि करने के पश्चात श्रद्धालुओं के द्वारा लाया गया था। इस मौके पर यहां पर मौजूद पंडितों के द्वारा भगवान की पूजा अर्चना की गई।
इस संबंध में जानकारी देते हुए समाज की ओर से शिव परमार मुरली, विष्णु परमार रोलूखेड़ी, जेपी परमार, देवनारायण परमार और हरीश परमार ने बताया कि मंदिर परिसर में भगवान को दर्शन के लिए रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष आषाण शुल्क पर आस्था और उत्साह के साथ भगवान जगदीश की रथ यात्रा निकाली जाती है। मंदिर में दो दिवसीय उत्साह रहता है। इसके बाद भगवान की चलित प्रतिमा को गल्ला मंडी स्थित श्रीराम मंदिर में विश्राम के लिए जाता है। श्रीराम मंदिर में भजन कीर्तन और प्रसादी का वितरण किया जाता है। इसके उपरांत यहां पर दूसरे दिन आस्था के साथ मंदिर परिसर में भगवान को विराजमान किया जाता है। श्रद्धालु द्वारा दर्शन किए जाते है। भगवान जगदीश स्वामी की रथ यात्रा 1961 में मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ शुरु की थी। रथ यात्रा का सामाजिक संगठनों द्वारा जगह-जगह स्वागत किया जाएगा। परमार समाज के राज गुरु 232 मंदिरों के जीर्णोद्धार व अखिल भारतीय धर्म संघ के अध्यक्ष ब्रह्मलीन श्री 1008 पंडित काशीप्रसाद कटारे की प्रेरणा से इस मंदिर का जीर्णोद्धार सन 1961 में परमार समाज ने किया था, वर्तमान में 64 वीं रथ यात्रा थी जो सभी श्रद्धालुओं के द्वारा सफल रही।