सीहोर / प्रदेश सरकार पर मादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए जिले के करीब एक हजार से ज्यादा संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी बुमकर को एक दिवसीय सामूहिक अवकाश पर चले गए। ऐसे में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्रों में स्थिति खराब रही। सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ताले लटके रहे और मरीज परेशान होकर वापस लौट गए। हालांकि जिला मुख्यालय सहित सभी सिविल हॉस्पिटलों में तो आसपास के क्षेत्र से स्टाफ बुलाकर व्यवस्थाएं कर ली गई लेकिन यदि कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए तो परेशानी बढ़ जाएगी।
अहमदपुर के उप स्वास्थ्य केंद्र में 6 संविदा कर्मचारी हड़ताल पर थे। दोपहर करीब 12.30 बजे यहां मरीजों की लंबी लाइन लगी हुई थी और ओपीडी में पर्चा बनाने के लिए एक कर्मचारी को लगाया था। खास बात यह है कि पर्चा बनाने बाला कर्मचारी ही दवा भी बांट रहा था। ऐसे में यहां काउंटर पर भी लाइन लगी हुई थी। एक महिला चिकित्सक मरीजों को देख रहीं थी। उप स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. केसी मोहनिया ने बताया कि एक दिन की हड़ताल पर कर्मचारी गए हैं, हमने वैकल्पिक व्यवस्था कर ली है, जिससे मरीजों को परेशानी न हो। इछावरमें 25 उप स्वास्थ्य केंद्र बंद रहे, आष्टा और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में भी ऐसे हालात रहे। केंद्रों पर टीकाकरण सहित अन्य काम संचालित नहीं हो सके।
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की यह हैं मांगे
संविदा कर्मचारियों की नाग है कि विभाग में रिक्त पदों पर साँवलियन किया जाकर, निवमित किया जाए। पूर्व मोदी जा रही सुविधाओं में एल एवं मेडिकल को पृथक कर दिया है। अनुबंध प्रथा को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया गया है। लेकिन अप्रेल जैसी कुरीति को यधावत रखा गया है। यही नहीं सेवा निवृत्तिको आयु में 65 वर्ष से पटाकर 62 वर्ष किया गया है। एनपीएस, ग्रेच्युटी, स्वास्थ्य बीमा एवं डीए की सुविधा से वंचित रखा गया है। शासन द्वारा समकक्षता (वेदन विसंगति) का निर्धारण गलत तरीके से किया गया है जिसमें पुनः विचार कर संशोधन किया जाएं। आपकी ये मांगे जायज है, लेकिन परेशान होकर अपना इलाज कराने वाले आए लोगों का इलाज करना भी आपका सबसे पहला कर्म और धर्म भी है।