अब मतदान केंद्रों पर होंगे अधिकतम 1200 मतदाता

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  डीआर न्यूज इंदिया डॉट कॉम/ केंद्रीय चुनाव आयोग ने एक बड़ा फैसला लिया है। अब हर पोलिंग स्टेशन पर मतदाताओं की संख्या 1500 से घटाकर 1200 कर दी जाएगी। इससे पूरे भारत में कई लाख नए पोलिंग स्टेशन बनने की उम्मीद है। ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की जरूरत बढ़ेगी और चुनाव का खर्च भी बढ़ जाएगा। अनुमान है कि देशभर में 3 लाख से ज्यादा पोलिंग स्टेशन बनाने पड़ सकते हैं। वहीं मप्र में पोलिंग बूथों की संख्या 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ेगी। मप्र में सात हजार से ज्यादा नए पोलिंग बूथ बढ़ सकते हैं। पोलिंग बूथ की संख्या बढ़ने का असर राजनीतिक दलों पर भी पड़ेगा। उनका बूथ मैनेजमेंट प्रभावित होगा। बूथ की संख्या के हिसाब भाजपा के मंडलों और कांग्रेस के ब्लॉक की संख्या में वृद्धि हो जाएगी। बूथों की संख्या बढ़ने से राजनीतिक दलों को चुनाव में बूथों पर अधिक संख्या में पोलिंग एजेंट नियुक्त करना होंगे। इससे उनका चुनाव खर्च भी बढ़ेगा।
गौरतलब है कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन से जुड़ी प्रक्रियाओं को सरल व सुविधा जनक बनाने के लिए 18 नई पहल शुरू की गई है। ऊंची इमारतों/ कॉलोनियों में अतिरिक्त मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे। मतदाता सूची अद्यतनीकरण के लिए, मृत्यु पंजीकरण का डेटा सीधे आरजीआई डेटाबेस से प्राप्त किया जाएगा। सत्यापन के बाद इसे अद्यतन किया जाएगा।चुनाव आयोग ने हर पोलिंग बूथ पर मतदाताओं की संख्या 1500 से घटाकर 1200 करने का निर्णय लिया है। इस तरह प्रत्येक पोलिंग बूथ पर 300 वोटर कम हो जाएंगे। चुनाव आयोग के इस फैसले का असर मप्र पर भी पड़ेगा। मप्र के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के मुताबिक एक पोलिंग बूथ पर अधिकतम 1200 मतदाता होने का नियम लागू होने के बाद प्रदेश में पोलिंग बूथों की संख्या 10 से 15 प्रतिशत बढऩे का अनुमान है। पोलिंग बूथों की संख्या बढऩे से जिला प्रशासन की जिम्मेदारी और चुनौती बढ़ेगी। ज्यादा बूथों का मतलब है, ज्यादा ईवीएम वीवीपैट, टेबल, कुर्सियां, जनरेटर, लाइट आदि। हर बूथ पर कर्मचारियों की आवश्यकता होती है पीठासीन अधिकारी, मतदान अधिकारी, सुरक्षाकर्मी आदि। नए कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए ज्यादा प्रशिक्षण सत्र आयोजित करना पड़ेंगे। सामग्री के वितरण, संग्रहण और वापसी का कार्य जटिल हो जाएगा। बूथों तक पहुंचने के लिए अधिक वाहनों की व्यवस्था करनी होगी। ज्यादा बूथों का अर्थ है कि अधिक सुरक्षा बलों की तैनाती। अधिक बूथों की स्थापना से प्रशासन के बजट पर दबाव पड़ेगा।
मतदान केंद्रों का फिर से निर्धारण


चुनाव आयोग के निर्देश मिलते ही मतदाताओं की संख्या के आधार पर राजधानी समेत पूरे प्रदेश में मतदान केंद्रों का फिर से निर्धारण करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जिन पोलिंग बूथ पर मतदाताओं की संख्या 1200 से ज्यादा होगी, वहां के अधिशेष मतदाताओं को अन्य मतदान केंद्रों पर समायोजित किया जाएगा। या फिर नए मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। मतदान केंद्रों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि वोटर से मतदान केंद्र की दूरी 2 किलोमीटर से ज्यादा न हो। प्रदेश में वर्ष 2027 में स्थानीय निकाय चुनाव संभावित हैं। वर्ष 2028 में विधानसभा और 2029 में लोकसभा चुनाव होंगे। इन चुनावों तक प्रदेश में पोलिंग बूथ की संख्या बढ़ जाएगी। पोलिंग बूथों की संख्या बढऩे से मतदाताओं को वोट करने के लिए लंबी लाइनों से निजात मिलेगी। छोटे एवं स्थानीय बूथ होने से बुजुर्ग, दिव्यांग और ग्रामीण इलाकों में चुनावी भागीदारी बढ़ेगी। इससे वोटिंग प्रतिशत में सुधार आएगा। पोलिंग बूथों पर वोटिंग जल्दी होने से चुनाव आयोग वोटर टर्न आउट समय पर जारी कर सकेगा। बूथ स्तर पर संसाधनों, सुरक्षा, निगरानी और इकाई की संख्या बढऩे पर चुनाव आयोग को अतिरिक्त जिम्मेदारी उठानी होगी।
मप्र में हो जाएंगे 72 हजार मतदान केंद्र


मप्र में 2024 के लोकसभा चुनाव में करीब 65 हजार पोलिंग बूथ का इस्तेमाल किया गया था। आने वाले दिनों में 7 हजार से ज्यादा नए बूथ बनेंगे। इस तरह प्रदेश में 72 हजार मतदान केंद्र बन जाएंगे। लोकसभा चुनाव-2024 के अनुसार मप्र में कुल मतदाता 5 करोड़ 63 लाख है। इनमें पुरुष मतदाता 2 करोड़ 88 लाख,महिला मतदाता 2 करोड़ 72 लाख और थर्ड जेंडर मतदाता 1373 है। वहीं पोलिंग बूथ 65,014 हैं। इससे चुनाव कराने के लिए ज्यादा संख्या में मतदान कर्मियों, वीवीपैट व ईवीएम और अन्य संसाधनों की जरूरत पड़ेगी, जिससे चुनाव खर्च बढ़ जाएगा। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि पोलिंग बूथ पर मतदाताओं को लंबी लाइनों में न लगना पड़े और वे आसानी से मतदान कर सकें, इसलिए चुनाव आयोग ने पोलिंग बूथ पर मतदाताओं की संख्या कम करने का निर्णय लिया है।  मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मप्र सुखवीर सिंह का कहना है कि केंद्रीय चुनाव आयोग ने एक पोलिंग बूथ पर अधिकतम मतदाताओं की संख्या 1500 से घटाकर 1200 करने का निर्णय लिया है। इससे मप्र में पोलिंग बूथ की संख्या 10 से 15 प्रतिशत बढऩे का अनुमान है। बूथों की संख्या ज्यादा होने से भीड़ कम होगी और मतदाता आसानी से मतदान कर सकेंगे।

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