टीम ने जैसे ही गिद्धों के बाॅक्स खोले तो वे खुले आसमान में उड़ते चले गए

0
33

विदिशा/ केरवा ब्रीडिंग सेंटर के 6 देशी गिद्धों को बुधवार सुबह 7.30 बजे रायसेन पश्चिमी रेंज की सरार बीट में प्राकृतिक वातावरण में छोड़ा गया है। भोपाल से सुबह 5.30 बजे गिद्धों को
लेकर वाहन रायसेन रवाना हुआ। वाइल्ड लाइफ के अधिकारियों के साथ वन विभाग की टीम ने जैसे ही गिद्धों के बॉक्स खोले तो वे खुले आसमान में उड़ते चले गए। जन्म से लेकर 4 साल की उम्र तक इन गिद्धों ने पहली बार खुले आसमान में लंबी उड़ान भरी। सरार बीट में गिद्धों के लिए पर्याप्त भोजन और पानी की व्यवस्था है। इसलिए ये स्थान चुना गया। इनकी पीठ पर लगी कॉलर आईडी से सैटेलाइट के जरिये उनके मूवमेंट और के साथ ही आदतों की जानकारी मिलती रहेगी। इससे पहले
भी सतना से रेस्क्यू किए गए यूरेशियन गिद्ध को 25 मार्च को सरार बीट में छोड़ा गया था। ये गिद्ध 15 दिन में पाकिस्तान, अफगानिस्तान होते हुए ताजिकिस्तान तक पहुंच चुका है।
बुधवार को गिद्धों को बॉक्स से छोड़ने के दौरान मुख्य वन प्राणी अभिरक्षक मप्र शुभ रंजन सेन, एपीसीसीएफ वन्यप्राणी एल कृष्णमूर्ति, डब्लूडब्लूएफ की टीम, एनजीओ बीएनएचएस की टीम के साथ ही डिप्टी डायरेक्टर वन विहार भोपाल अवधेश कुमार मीणा, उपवन मण्डल अधिकारी रायसेन सुधीर पटले, उप वनमंडल अधिकारी विदिशा, बृजेंद्र तिवारी परिक्षेत्र अधिकारी पश्चिम रायसेन, पिंकी रघुवंशी परिक्षेत्र अधिकारी विदिशा, रायसेन एवं विदिशा वनमंडल का स्टाफ मौजूद रहा। सरार बीट में वल्चर रेस्टोरेंट निर्माण की भी तैयारी चल रही है।
गिद्ध संवर्धन एवं प्रजनन केन्द्र केरवा भोपाल में पले-बढ़े सफेद पीठ वाले गिद्ध (व्हाइट बेक्ड वल्चर) एवं 4 लंबी चोंच वाले गिद्ध (लांग बिल्ड वल्चर), इस तरह से कुल 6 गिद्धों को उनके प्राकृतिक रहवास में छोड़ा गया है। गिद्धों का प्रजनन गिद्ध संवर्धन एवं प्रजनन केन्द्र केरवा में कराया
6 गिद्धों के तीन-तीन जोड़े
गया है। यह गिद्धों का पहला समूह है, जिसे केंद्र से छोड़ा जा रहा है। गिद्धों के चयन से पहले 8 अप्रैल 2025 को इनकी स्वास्थ्य जांच और मॉफोंमेट्री की गई। शारीरिक एवं रक्त नमूनों की जांच में पाया गया कि सभी गिद्ध स्वस्थ एवं छोड़े जाने के लिए उपयुक्त है। इसके बाद 12 अप्रैल 2025 को
गिद्धों पर ऑर्निट्रैक 25 सौर ऊर्जा चलित जीपीएस-जीएसएम ट्रैकर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया द्वारा प्रदान किए गए) लगाए गए हैं। इससे उनके आवागमन के पैटर्न और आवास उपयोग की निगरानी की जा सकेगी। एक गिद्ध की जीपीएस और कालर आईडी की कीमत 3 लाख रुपए है।
सामान्य वन मंडल में मिले थे 955 गिद्ध
गिद्ध पूरे साल में एक बार, एक ही अंडा देता है। इसलिए उन्हें सुरक्षित रखने के लिए केरवा में ब्रीडिंग सेंटर शुरू किया गया। वहीं दूसरी ओर सामान्य वन मंडल रायसेन में इस बार भी गिद्ध गणना की गई। इस गणना में 955 गिद्ध होना पाया गया। इनमें कई विदेशी प्रजाति के गिद्ध भी थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here