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बलरामपुर/छांगुर के करीबी रहे बब्बू खान ने बताया कि एक पूर्व आईपीएस अधिकारी से छांगुर के करीबी रिश्ते रहे हैं। अवैध धर्मांतरण के खेल में उसे पुलिस अधिकारी से भी पूरा संरक्षण मिलता रहा है। अपनी पहुंच से वह छांगुर को समय-समय पर कार्रवाई से बचा रहा था।
हिंदू परिवारों का धर्मांतरण कराकर जनसांख्यिकीय बदलाव में जुटे छांगुर पीर की राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी प्रबल थी। वह खुद को राजनीति में स्थापित कर सत्ता तक पहुंच बनाने के प्रयास में था। इसके लिए उतरौला निवासी एक पूर्व पुलिस अधिकारी को विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी में था। वहीं, नीतू उर्फ नसरीन के कमरे से बरामद लाल डायरी में ऐसे कई राजनेताओं के नाम मिले हैं, जिन्हें छांगुर ने विधानसभा चुनाव के दौरान लिए मोटी रकम दी थी।
पैरवी के लिए समय-समय पर लखनऊ भी जाता रहा। प्रचार के लिए पानी की तरह पैसे भी बहा रहा था। गिरफ्तारी से पहले भी जगह-जगह जलसों में वह पुलिस अधिकारी को मुख्य अतिथि के तौर पर प्रस्तुत कर रहा था। पूर्व सांसद दद्दन मिश्रा बताते हैं कि छांगुर अब चुनाव को भी प्रभावित करने लगा था। उसकी अपील का असर मतदान पर पड़ता था।
छांगुर के करीबी रहे बब्बू खान ने बताया कि एक पूर्व आईपीएस अधिकारी से छांगुर के करीबी रिश्ते रहे हैं। अवैध धर्मांतरण के खेल में उसे पुलिस अधिकारी से भी पूरा संरक्षण मिलता रहा है। अपनी पहुंच से वह छांगुर को समय-समय पर कार्रवाई से बचा रहा था। उसी की पहल पर छांगुर अपनी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन के साथ दो महीने तक पुलिस और एटीएस को चकमा देकर लखनऊ में डटा रहा। लखनऊ में छांगुर के लिए वही अधिकारी वकीलों की टीम भी उपलब्ध करा रहा था।
नेपाल से सटे संवेदनशील बलरामपुर जिले की राजनीति को देखें तो बीते दस वर्षों से सभी विधानसभा क्षेत्रों में छांगुर की पैठ बढ़ी थी। बात चाहे लोकसभा चुनाव की हो या फिर विधानसभा की, छांगुर पीर सभी में सक्रिय रहता था। प्रत्याशियों को फंडिंग करता था। अपने अनुयायियों से उनके पक्ष में मतदान की अपील भी करता था। तहसील क्षेत्र में तो त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को सीधे प्रभावित कर रहा था।
लाल डायरी में कई राजनेताओं के भी नाम मिले
सूत्रों के अनुसार एटीएस की जांच में नीतू उर्फ नसरीन के कमरे से बरामद लाल डायरी में ऐसे राजनेताओं के भी नाम मिले हैं, जिन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव में छांगुर ने मोटी रकम दी गई है। चर्चा है कि उतरौला से एक पूर्व प्रत्याशी को छांगुर ने 90 लाख रुपये दिए थे, लेकिन वह चुनाव नहीं जीत सके। ऐसे में इस बार एक राष्ट्रीय दल से जुड़े पूर्व आईपीएस अधिकारी को 2027 के विधानसभा चुनाव में उतरौला से चुनाव मैदान में उतारने के लिए जमीन तैयार कर रहा था।

एटीएस के गवाह पर छांगुर के गुर्गों ने किया हमला, बयान न बदलने पर दी हत्या की धमकी
अवैध धर्मांतरण के मामले में बयान न बदलने पर जमालुद्दीन उर्फ छांगुर के गुर्गों ने एटीएस के गवाह हरजीत कश्यप पर हमला कर दिया। उन्हें बुरी तरह से पीटा और हत्या की धमकी दी। पुलिस ने तीन के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। ग्राम रसूलाबाद निवासी हरजीत एटीएस के गवाह हैं। उन्होंने छांगुर पर जबरन धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया है। इसी बात को लेकर हरजीत से छांगुर के गुर्गों रियाज, कमालुद्दीन व नव्वाब ने मारपीट की। हरजीत के अनुसार उन्हें धमकाया गया कि रसूलाबाद गांव पाकिस्तान है। यहां रहकर मुसलमानों से बगावत करते हो। इसका अंजाम तुम सबको भुगतना पड़ेगा। योगी सरकार कब तक रहेगी, जब यह सरकार जाएगी तो तुम्हें सबक सिखाया जाएगा।