तहसीलदार की डॉक्टर से विवाद, मोबाइल छीनने का प्रयाश शाजापुर में डॉक्टरों का आरोप- अपशब्द कहे, ओपीडी बंदकर शाम को रैली निकाली

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सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने तहसीलदार पर बदसलूकी करने का आरोप लगाया है।

डीआर न्यूज इंडिया डाॅटकाॅम शाजापुर/ जिला अस्पताल परिसर में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को लेकर शनिवार सुबह विवाद हो गया। तहसीलदार सुनील पाटिल और डॉक्टर्स के बीच कहासुनी इतनी बढ़ गई कि डॉक्टरों ने ओपीडी सेवाएं बंद कर दीं। उनका कहना है कि जब तक तहसीलदार पर कानूनी कार्रवाई नहीं होती, वे इलाज शुरू नहीं करेंगे। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो भी वायलर हुआ है
शनिवार सुबह तहसीलदार सुनील पाटिल, जिला अस्पताल परिसर स्थित हनुमान मंदिर के पास अतिक्रमण हटाने पहुंचे थे। इस दौरान सिविल सर्जन डॉ. बीएस मैना के मौके पर उपस्थित नहीं होने से तहसीलदार ने नाराजगी जताई।
मौके पर उपस्थित आरएमओ डॉ. गोविंद पाटीदार से बहस हो गई, जो धीरे-धीरे तीखी कहासुनी में बदल गई। डॉक्टर का आरोप है कि तहसीलदार ने गाली-गलौज की और उनका मोबाइल छीनने की कोशिश की।
डॉ. गोविंद पाटीदार ने बताया कि वे सिविल सर्जन को फोन पर जानकारी दे रहा थे तभी तहसीलदार ने मोबाइल छीनने की कोशिश की और अपशब्द कहे। वहीं, डॉ. सचिन नायक सहित अन्य डॉक्टरों ने एसडीएम मनीषा वास्कले को ज्ञापन सौंपकर तहसीलदार पर एफआईआर की मांग की।
शाम को डॉक्टरों ने जिला अस्पताल से बस स्टैंड तक रैली निकाली। इसके बाद विधायक ने अफसरों और डॉक्टरों की बैठक ली। विधायक ने डॉक्टरों का निष्पक्ष रूप से कार्रवाई का भरोसा दिया। इसके बाद डॉक्टर काम पर लौट आए।
थाने के बाहर डॉक्टरों का धरना प्रदर्शन

डॉक्टरों पर आरोप लगाने के बाद तहसील परिसर में पटवारी धरने पर बैठ गए।


विवाद के बाद जिला अस्पताल के डॉक्टर्स ने इलाज बंद कर दिया और विरोध स्वरूप कोतवाली थाने पहुंचे। यहां उन्होंने करीब 15 से 20 मिनट तक धरना दिया। बाद में एसडीओपी गोपाल सिंह चैहान मौके पर पहुंचे और डॉक्टर्स से चर्चा की। इसके बाद डॉक्टरों ने ज्ञापन सौंपा और कानूनी कार्रवाई की मांग दोहराई।
पटवारी संघ का तहसील परिसर में धरना
मामले ने और तूल पकड़ लिया जब पटवारी संघ तहसील परिसर में धरने पर बैठ गया। तहसीलदार के समर्थन में राजस्व विभाग के कई कर्मचारी और अधिकारी वहां एकत्रित हुए। संघ ने डॉक्टरों के आरोपों को गलत बताते हुए तहसीलदार के पक्ष में प्रदर्शन किया।
तहसीलदार ने सभी आरोपों को नकारा
हम एसडीएम के निर्देश पर अतिक्रमण हटाने गए थे। सिविल सर्जन को फोन किया, लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं किया। बाद में कुछ लोग कार्रवाई में बाधा डालने लगे। वहां गांजे जैसे कुछ पौधे भी लगे हुए दिखे जिन्हें हटाया गया। यह पूरा विवाद कुछ स्वार्थी तत्वों द्वारा पैदा किया गया है। डॉक्टरों को काम बंद नहीं करना चाहिए क्योंकि उन्होंने मरीजों की सेवा का संकल्प लिया है।
डॉक्टरों ने निकाली रैली,
जिला अस्पताल के डॉ. जायसवाल ने बताया कि सुबह जब तहसीलदार अस्पताल परिसर में अतिक्रमण हटाने पहुंचे, तब उनकी सहायता के लिए डॉ. गोविंद पाटीदार, डॉ. दीपक पाटीदार और डॉ. सचिन नायक गए थे।
डॉक्टरों का आरोप है कि तहसीलदार ने उनके साथ गाली-गलौज कर मारपीट का प्रयास किया। डॉक्टरों ने कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश भी की, लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की।
नाराज डॉक्टरों ने शाम को प्रदर्शन तेज कर दिया। शाम करीब 5.30 बजे डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों ने जिला अस्पताल से बस स्टैंड तक रैली निकाली।
विधायक ने ली बैठक, काम पर लौटे डॉक्टर
शाम 6.30 बजे रेस्ट हाउस में विधायक अरुण भीमावद की अगुवाई में अफसरों की बैठक ली। बैठक में एसडीएम मनीषा वास्कले, डिप्टी कलेक्टर राजकुमार हलदर, तहसीलदार सुनील पाटिल, सीएमएचओ डॉ. अजय सालविया, सिविल सर्जन डॉ. बीएस मीणा और विवाद से जुड़े डॉक्टर उपस्थित रहे।
बैठक के बाद विधायक जिला अस्पताल पहुंचे। वहां डॉक्टरों से कहा कि आपकी बात को गंभीरता से लिया गया है। मामले में निष्पक्ष जांच कराई जाएगी। उन्होंने डॉक्टरों से सेवाएं पुनः शुरू करने की अपील की। इसके बाद डॉक्टर काम पर लौट आए।

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