बेटी ने लव मैरिज की… परिवार ने ज़िंदा रहते किया अंतिम संस्कार!”

0
62
लव मैरिज करने पर लड़की के 40 रिश्तेदारों ने मुंडन कराया था।

डीआर न्यूज इंडिया डाॅट काॅम/रायगढ़ा, ओडिशा | विशेष रिपोर्ट

ओडिशा के आदिवासी समाज में परंपरा और जाति की दीवारें आज भी इतनी ऊँची हैं कि प्यार से बड़ी सजा कुछ नहीं। एक बेटी ने जब इन दीवारों को तोड़ने की कोशिश की, तो उसके अपने ही परिवार ने उसे ज़िंदा रहते ‘मृत’ घोषित कर दिया।

“अब वो हमारे लिए मर चुकी है। उसका नाम मत लीजिए…”
ये शब्द हैं सुम्मत माझी के, जिनकी चचेरी बहन सायलेरी ने बिना परिवार की रज़ामंदी के दूसरी जाति के युवक रमेश से शादी कर ली। यह विवाह ना केवल परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए “अमान्य” था।

सायलेरी के जाने के 10 दिन बाद, सुम्मत के परिवार और समुदाय के 40 लोगों ने एक साथ सिर मुंडवा लिया। पंडित को बुलाकर उसका पिंडदान करवाया, जैसे किसी की मृत्यु हो गई हो। घर का शुद्धिकरण करवाया गया ताकि समाज में “प्रतिष्ठा” बनी रहे।

“हमें ये करना पड़ा, वरना समाज में कोई बात तक नहीं करता,” सुम्मत कहते हैं। कच्चे मकान के भीतर बारिश टपक रही थी, लेकिन उस दिन उनकी बातों से ज्यादा ठंडी और दर्दनाक वो सोच थी, जिसमें बेटी का प्यार अपराध बन गया।

सायलेरी और रमेश की शादी को कई महीने बीत चुके हैं, लेकिन परिवार अब भी उस पर बात करने से कतराता है। “रमेश उसे बहला-फुसलाकर ले गया,” ऐसा कहकर वे मानने से इनकार करते हैं कि सायलेरी का फैसला उसका अपना था।

ये कहानी सिर्फ एक लड़की की नहीं है। ये तस्वीर है उस समाज की, जहाँ जाति, परंपरा और ‘इज़्ज़त’ के नाम पर बेटियों की पहचान मिटा दी जाती है।
रायगढ़ा के बाइगांगुड़ा गांव जैसे कई गाँवों में यह परंपरा अब भी ज़िंदा है—लड़कियाँ अगर अपनी पसंद से शादी कर लें, तो उन्हें समाज से ही मिटा दिया जाता है।

लेकिन सवाल ये है—क्या किसी बेटी के प्यार की कीमत इतनी बड़ी हो सकती है कि उसके जिंदा रहते ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाए?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here