drnewsindia.com/भोपाल, मध्यप्रदेश विधानसभा परिसर में अब कोई विधायक न तो नारेबाजी कर सकेगा और न ही कोई प्रदर्शन। विधानसभा प्रशासन ने इस पर प्रतिबंध लगाने वाला आदेश पहली बार जारी किया है, जिससे प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है। विपक्षी कांग्रेस ने इस आदेश को लोकतंत्र के विरुद्ध बताते हुए कहा कि “सरकार हमारे मुंह सिल नहीं सकती”।
आदेश का ब्योरा
विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार—
- परिसर में किसी भी प्रकार की नारेबाजी, प्रदर्शन या धरना पर रोक होगी।
- यह आदेश सभी सांसदों, विधायकों और अतिथियों पर समान रूप से लागू होगा।
- आदेश का उल्लंघन करने पर प्रशासनिक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
सुरक्षा के मद्देनज़र यह कदम उठाया गया है, पर विशेषज्ञों का मानना है कि इसका उद्देश्य विरोध की आवाज़ दबाना भी हो सकता है।
🗣️ कांग्रेस का विरोध
कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने कहा—
“विधानसभा लोकतंत्र का मंदिर है। सरकार हमें वहाँ विरोध जताने से नहीं रोक सकती। हमारे मुंह सिलने की कोशिश की जा रही है। ये तानाशाही है।”
विपक्ष का कहना है कि यह आदेश सरकार की घबराहट को दर्शाता है और यह संविधान प्रदत्त विधायकों के अभिव्यक्ति के अधिकार पर चोट है।
क्यों आया आदेश?
हाल के विधानसभा सत्रों में विपक्ष द्वारा—
- सदन के भीतर और बाहर नारेबाजी,
- काले कपड़े,
- और पोस्टर लेकर प्रदर्शन किए गए थे।
इन घटनाओं से सदन की कार्यवाही में बाधा पहुंची और सुरक्षा एजेंसियों ने सुझाव दिया कि परिसर में अनुशासन बनाए रखने की आवश्यकता है।
🎯 राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह आदेश एक नई परंपरा की शुरुआत कर सकता है। इससे लोकतांत्रिक असहमति के सार्वजनिक रूप सीमित हो सकते हैं।
वहीं सत्ता पक्ष का कहना है कि सदन के बाहर विरोध जताने के कई अन्य माध्यम उपलब्ध हैं और विधायकों को अपनी बात मर्यादित तरीकों से रखनी चाहिए।