मालेगांव ब्लास्ट केस: 17 साल बाद कोर्ट का फैसला, साध्वी प्रज्ञा समेत सभी 7 आरोपी बरी

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कोर्ट ने कहा – धमाका हुआ, लेकिन बम मोटरसाइकिल में था, यह साबित नहीं हुआ

महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट केस में एनआईए स्पेशल कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसियां आरोप साबित नहीं कर पाईं, इसलिए आरोपियों को संदेह का लाभ मिलता है।

मुख्य बिंदु:

  • ब्लास्ट 29 सितंबर 2008 को हुआ था, जिसमें 6 लोगों की मौत और करीब 100 लोग घायल हुए थे।
  • बरी होने वालों में साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर धर द्विवेदी शामिल हैं।
  • कोर्ट ने कहा कि यह साबित नहीं हुआ कि बम साध्वी प्रज्ञा की मोटरसाइकिल में रखा गया था या कर्नल पुरोहित ने बम बनाया।
  • केस की शुरुआती जांच ATS ने की थी, बाद में 2011 में NIA को सौंपा गया। अब तक 3 एजेंसियां और 4 जज केस से जुड़ चुके हैं।
  • कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि धमाके में 101 नहीं, 95 लोग घायल हुए थे।

प्रज्ञा ठाकुर का बयान:
फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा ने कहा, “यह भगवा की जीत है। मुझे षड्यंत्र के तहत फंसाया गया, मेरी साधु जीवन की शांति छीन ली गई। कोई स्वेच्छा से मेरे साथ नहीं खड़ा हुआ। मुझे प्रताड़ित किया गया, लेकिन आज सत्य सामने आया है। जो लोग भगवा को बदनाम करना चाहते थे, उनका चेहरा उजागर हुआ है।”

मालेगांव ब्लास्ट केस: अब तक की पूरी टाइमलाइन

यह केस 29 सितंबर 2008 को मालेगांव, महाराष्ट्र में हुए बम धमाके से जुड़ा है। धमाके में 6 लोगों की मौत हुई थी और करीब 100 लोग घायल हुए थे।

  • 2008: महाराष्ट्र ATS ने केस की जांच शुरू की और साध्वी प्रज्ञा समेत कई आरोपियों को गिरफ्तार किया।
  • 2011: केस NIA को सौंपा गया।
  • 2016: NIA ने चार्जशीट दाखिल की, जिसमें कई आरोपियों पर से गंभीर आरोप हटा दिए गए।
  • 2025: कोर्ट ने फैसला सुनाया और सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया।

यहाँ मालेगांव ब्लास्ट केस से जुड़ी बड़ी राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और विवाद दिए जा रहे हैं, जो इस फैसले को और भी ज्यादा चर्चा में ला रहे हैं:

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