MP में पहली बार 9वीं के साथ होगी आईटीआई: 10वीं के बाद विदेश में नौकरी का मौका, रूस से मिले 1.5 लाख जॉब ऑफर

0
43


गाडरवाड़ा के सांईखेड़ा स्कूल में तैयार हो रही आईटीआई लैब – स्कूली पढ़ाई के साथ तकनीकी ट्रेनिंग का नया मॉ


drnewsindia.com/ मध्यप्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जहां कक्षा 9वीं से ही स्कूली पढ़ाई के साथ आईटीआई प्रशिक्षण की सुविधा मिलेगी। इस अभिनव योजना के तहत छात्र 10वीं तक पहुंचते ही तकनीकी रूप से दक्ष हो जाएंगे और उनके पास नौकरी या उच्च शिक्षा का विकल्प मौजूद रहेगा।

शिक्षा के साथ तकनीकी कौशल जोड़ने की यह योजना “ड्युअल सर्टिफिकेट कोर्स” के तहत शुरू की गई है। इसका पायलट प्रोजेक्ट शिक्षामंत्री राव उदय प्रताप सिंह के विधानसभा क्षेत्र गाडरवाड़ा के सांईखेड़ा में शुरू किया जा रहा है।


9वीं से स्किल ट्रेनिंग: पढ़ाई और तकनीकी दक्षता साथ-साथ

इस योजना के तहत छात्र अब कक्षा 9वीं और 10वीं की पढ़ाई के साथ ही आठ प्रमुख ट्रेड्स में आईटीआई प्रशिक्षण ले सकेंगे। इन ट्रेड्स में शामिल हैं:

  • ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) मैकेनिक
  • प्लंबर
  • इलेक्ट्रिशियन
  • मेसन
  • ड्रेस डिजाइनिंग
  • सिलाई टेक्नोलॉजी
  • वायरमैन
  • रेफ्रिजरेशन एंड एसी

इससे छात्र एक साथ शैक्षणिक और तकनीकी डिग्री प्राप्त कर सकेंगे। दो साल बाद, जब वे 10वीं पास करेंगे, तो उनके पास आईटीआई डिप्लोमा भी होगा।


10वीं के बाद सीधे नौकरी या 12वीं+डिप्लोमा

छात्र चाहें तो 10वीं के बाद नौकरी में जा सकते हैं, या फिर 11वीं-12वीं करते हुए पूरा डिप्लोमा कोर्स पूरा कर सकते हैं। डिप्लोमा के बाद छात्र सीधे इंजीनियरिंग के सेकेंड ईयर में प्रवेश पा सकेंगे।

राज्य ओपन स्कूल के डायरेक्टर प्रभातराज तिवारी बताते हैं कि ये मॉडल स्कूली शिक्षा में पहली बार दोहरी मान्यता के साथ आ रहा है। ओपन स्कूल अब एनसीवीईटी (नेशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग) के साथ मिलकर सर्टिफिकेट जारी करेगा, जिससे छात्र को ड्युअल अवार्ड मिलेगा – एक शैक्षणिक और दूसरा तकनीकी।


रूस से आए 1.5 लाख जॉब ऑफर

सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि योजना के तहत प्रशिक्षित छात्र विदेश में भी नौकरी पा सकते हैं। भारत के रूस स्थित दूतावास से चर्चा के बाद यह तय हुआ है कि वहां 1.5 लाख राजमिस्त्री (मेसन) की आवश्यकता है।

इसके तहत छात्र एक से डेढ़ लाख रुपए महीने तक की आय अर्जित कर सकते हैं। ऐसे अवसरों के लिए बोर्ड और दूतावास की साझा पहल से विदेश में नियुक्ति का रास्ता भी साफ हो रहा है।


कैसे होगा प्रशिक्षण: ऑनलाइन क्लास + प्रैक्टिकल ट्रेनिंग

  • स्कूली विषयों की पढ़ाई ऑनलाइन मोड से कराई जाएगी।
  • प्रत्येक वर्ष दो बार 15-15 दिन की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी जाएगी।
  • छात्र मॉडल आईटीआई के हॉस्टल में रहकर हर दिन 12 घंटे तक ट्रेनिंग प्राप्त करेंगे।

इसका उद्देश्य छात्रों को किताबों के साथ-साथ हैंड्स-ऑन स्किल देना है ताकि वे नौकरी के लिए तुरंत तैयार हो सकें।


फीस में छूट और बॉन्ड व्यवस्था

  • सामान्यतः आईटीआई फीस ₹25,000 होती है, लेकिन इस योजना के अंतर्गत छात्र इसे सिर्फ ₹15,000 में कर सकेंगे।
  • यदि कोई छात्र आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है, तो वह एक बॉन्ड साइन कर सकेगा। इसके अनुसार, पढ़ाई पूरी होने के बाद छात्र को एक साल काम करना होगा ताकि फीस की प्रतिपूर्ति हो जाए।

यह व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि कोई भी आर्थिक कारणों से तकनीकी शिक्षा से वंचित न रहे।


मल्टी एंट्री, मल्टी एग्जिट पॉलिसी

नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए इस योजना में लचीलापन रखा गया है। छात्र किसी भी स्तर पर कोर्स में प्रवेश या बाहर निकलने का विकल्प चुन सकते हैं। इससे वे अपनी सुविधा और रुचि के अनुसार शिक्षा और प्रशिक्षण जारी रख सकेंगे।


रोजगार सृजन भी होगा

राज्य ओपन स्कूल के डायरेक्टर तिवारी के मुताबिक, केवल शिक्षा नहीं, बल्कि इस योजना का एक उद्देश्य स्थानीय स्तर पर रोजगार तैयार करना भी है। इसके लिए निजी कंपनियों और उद्यमियों से चर्चा चल रही है।

तकनीकी रूप से सक्षम युवा ही भविष्य के मैन्युफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र में रीढ़ साबित होंगे।


आगे कहां लागू होगी योजना?

गाडरवाड़ा के बाद यह योजना उज्जैन की दक्षिण विधानसभा और राजगढ़ के सारंगपुर क्षेत्र में लागू की जाएगी। इसके लिए ओपन स्कूल शिक्षा बोर्ड की कार्यकारिणी से ₹4.5 करोड़ का बजट भी स्वीकृत हो चुका है।


स्किल गैप और अवसर

प्रदेश में एक लाख से ज्यादा आईटीआई सीटें होने के बावजूद मात्र 85 एसी मैकेनिक और 50 ईवी मैकेनिक प्रति वर्ष तैयार हो रहे हैं। योजना का लक्ष्य है कि इस स्किल गैप को भरा जाए और प्रदेश की 8.5 करोड़ आबादी को ध्यान में रखते हुए तकनीकी मानव संसाधन तैयार किया जाए।


मध्यप्रदेश सरकार की यह पहल न केवल शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी, बल्कि देश के युवाओं को पढ़ाई के दौरान ही रोजगार के लिए तैयार करेगी।

विदेशी नौकरियों की संभावनाएं, कौशल के साथ पढ़ाई और फीस में राहत — ये तीन स्तंभ इस योजना को भविष्य की शिक्षा प्रणाली का मॉडल बनाते हैं।

पायलट प्रोजेक्ट की सफलता इस योजना के भविष्य की दिशा तय करेगी।



LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here