Drnewsindia.com /सीहोर ज़िले के किसानों ने सोमवार को एक अनोखा और प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन किया। लगातार पांच वर्षों से प्राकृतिक आपदाओं के कारण सोयाबीन फसल बर्बाद होने के बावजूद बीमा राशि और मुआवज़ा न मिलने से नाराज़ किसानों ने पेड़ों पर चढ़कर घंटियां बजाईं, ताकि उनकी आवाज़ सीधे सरकार के कानों तक पहुंचे। यह अनोखा प्रदर्शन ग्राम चंदेरी रामखेड़ी उलझामन, क्लास कला, ढाबला उल्लास खुर्द, छापरी, सेवनिया और संग्रामपुर सहित कई गांवों में एक साथ किया गया।
किसानों का आरोप है कि बीमा कंपनियों और प्रशासन ने अब तक न तो वास्तविक सर्वे कराया और न ही राहत राशि का भुगतान किया। आंदोलन का नेतृत्व समाजसेवी एमएस मेवाड़ा कर रहे हैं। उनका कहना है कि किसान पहले भी प्रधानमंत्री, केंद्रीय कृषि मंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नाम कई ज्ञापन सौंप चुके हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
इन गांवों में आंदोलन का स्वरूप भी अलग-अलग है—कहीं पुरुष किसान नदी में उतरकर जल सत्याग्रह कर रहे हैं, तो कहीं महिलाएं हाथ में खराब फसल लेकर मौन प्रदर्शन कर रही हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक मुआवजा और बीमा राशि का भुगतान नहीं होता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
गांवों के खेतों में इस बार भी सोयाबीन की फसल 80–100% तक प्रभावित बताई जा रही है। किसानों का कहना है कि बारिश के असमान वितरण, ओलावृष्टि और रोग-कीट प्रकोप के कारण उत्पादन घटकर शून्य के करीब आ गया है। ऐसे में बीमा योजना के तहत मिलने वाली सहायता ही उनका सहारा है, लेकिन जब यह भी अटकी हुई है, तो खेती करना घाटे का सौदा बनता जा रहा है।
किसानों की मांग है कि तत्काल सर्वे कराकर नुकसान का आकलन किया जाए और राहत राशि सीधे किसानों के खातों में जमा हो। अन्यथा, उनका आंदोलन और तेज़ होगा, जिसमें बड़े पैमाने पर सड़क और मंडी बंद जैसे कदम भी शामिल किए जाएंगे।