Drnewsindia.com /भोपाल
मध्यप्रदेश के लिए मंगलवार, 12 अगस्त, कई मायनों में ऐतिहासिक दिन साबित हो सकता है। प्रदेश की राजनीति और लाखों लोगों के भविष्य से जुड़े दो बड़े मामलों—ओबीसी को 27% आरक्षण और सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति—पर कल सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में अहम सुनवाई होगी। दोनों मामलों में आने वाला फैसला न केवल राजनीतिक समीकरण बदल सकता है, बल्कि लंबे समय से लटकी प्रक्रियाओं को भी गति दे सकता है।
ओबीसी आरक्षण: छह साल से अटका मामला
मप्र में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा 2019 में कमलनाथ सरकार द्वारा 27% आरक्षण लागू करने के बाद से कानूनी जाल में उलझा है। हाईकोर्ट ने 4 मई 2022 को अंतरिम आदेश जारी कर आरक्षण को 14% तक सीमित कर दिया था। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जहां प्रदेश सरकार और ओबीसी पक्ष ने रोक हटाने की मांग की। 4 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई में सरकार ने छत्तीसगढ़ के 58% आरक्षण मामले का हवाला देते हुए राहत मांगी थी, जबकि अनारक्षित पक्ष ने आपत्ति जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने तब फैसला टालकर अगली सुनवाई 12 अगस्त तय की थी। अब प्रदेश के करोड़ों ओबीसी वर्ग की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या उन्हें 27% आरक्षण की सौगात मिलेगी।
पदोन्नति विवाद: 9 साल से लगी रोक
प्रदेश में वर्ष 2016 से सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति पर रोक लगी हुई है। इस अवधि में एक लाख से अधिक कर्मचारी बिना प्रमोशन पाए रिटायर हो चुके हैं। 17 जून 2025 को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की कैबिनेट ने मप्र लोक सेवा प्रमोशन नियम-2025 को मंजूरी दी और 19 जून को गजट नोटिफिकेशन जारी किया। मुख्य सचिव ने 31 जुलाई तक डीपीसी बैठकों के निर्देश दिए, लेकिन कुछ कर्मचारियों ने नए नियमों को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी। 7 जुलाई को कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार से पुराने (2002) और नए (2025) नियमों का तुलनात्मक चार्ट मांगा और तब तक पदोन्नति प्रक्रिया पर रोक लगा दी। अब इस मामले में कल चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ फैसला सुना सकती है।
राजनीतिक असर और जन-अपेक्षा
इन दोनों मामलों के फैसले का असर सीधा-सीधा प्रदेश की राजनीति और सरकारी भर्ती-पदोन्नति प्रक्रियाओं पर पड़ेगा। ओबीसी वर्ग के लाखों युवाओं, 5 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों और विपक्ष-सरकार—सभी की नज़रें मंगलवार को कोर्ट से आने वाली खबरों पर रहेंगी। सवाल साफ है—क्या कल का दिन मप्र के लिए ‘दोहरी खुशखबरी’ लेकर आएगा, या फिर उम्मीदों पर फिर से रोक लग जाएगी?