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ग्वालियर/भोपाल जन्माष्टमी के अवसर पर ग्वालियर और भोपाल दोनों ही शहरों में श्रद्धालुओं ने कृष्ण भक्ति में डूबकर उत्सव मनाया। ग्वालियर के 100 साल पुराने गोपाल मंदिर में राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं को लगभग 100 करोड़ रुपये के हीरे, नीलम, पन्ना, माणिक, पुखराज और सोने-चांदी के गहनों से सजाया गया। यह श्रृंगार न केवल भव्य है, बल्कि भक्तों के लिए आस्था और भक्ति का प्रतीक भी है। स्वतंत्रता के बाद ये आभूषण बैंक के लॉकर में सुरक्षित रखे गए थे, लेकिन 2007 से हर जन्माष्टमी पर इन्हें प्रतिमाओं पर धारण कराया जाता है। इस दौरान मंदिर में 200 से अधिक सुरक्षा जवान तैनात रहते हैं।
भोपाल में रंगी कृष्ण भक्ति-इस्काॅन और बिरला मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़

भोपाल में भी जन्माष्टमी की धूम देखने लायक रही। राजधानी के इस्कॉन मंदिर, पटेल नगर और बिरला मंदिर तक श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। पटेल नगर इस्कॉन में सुबह 4-30 बजे मंगल आरती से शुरू हुआ आयोजन दिनभर कथा, संकीर्तन, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ चलता रहा। शाम को ‘शांति दूत कृष्ण’ नाट्य प्रस्तुति और बच्चों की ‘माखन चोर कृष्ण’ झांकी ने दर्शकों का मन मोह लिया। रात को महाआरती के साथ भक्ति रस चरम पर पहुंचा। मंदिर को 500 किलो फूलों से सजाया गया, जबकि 75 हजार से ज्यादा श्रद्धालु इसमें शामिल हुए।
मुख्यमंत्री निवास में भी 1000 बच्चों ने राधा-कृष्ण की पोशाक में झांकियों के माध्यम से लीलाएं प्रस्तुत की। खेल एवं सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि जन्माष्टमी हमें अन्याय के खिलाफ लड़ने और कृष्ण के विचारों को जीवन में उतारने की प्रेरणा देती है।

जन्माष्टमी पर भगवान की भव्य झलक और भक्तों की उमड़ी भीड़
पुराने शहर में शोभायात्राएं निकाली गईं, रथों पर सजी झांकियों और ढोल-नगाड़ों की थाप पर भक्त देर रात तक भक्ति में डूबे रहे। कटारा हिल्स के अमलतास एम्ब्रिन होम में राधा-कृष्ण की पोशाक में पहुंचे बच्चे और बच्चों के लिए किड्स जोन व सेल्फी जोन भी आकर्षण का केंद्र बने।
इस तरह ग्वालियर और भोपाल दोनों ही शहरों ने जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की भव्य झलक और श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ के साथ इस पर्व को जीवंत किया।