स्पेस मिशन में डर तो लगता है, पर भरोसेमंद टीम हिम्मत देती है: भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला
नई दिल्ली, 21 अगस्त 2025। इंडियन एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने गुरुवार को मीडिया सेंटर, नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इंसानी अंतरिक्ष मिशन स्वभावतः जोखिम भरे होते हैं, “लेकिन हमारे पीछे एक भरोसेमंद टीम होती है, जिसे हम अपनी ज़िंदगी तक सौंप देते हैं। यही भरोसा उड़ान से लेकर लैंडिंग तक हिम्मत देता है।” शुक्ला एक्सियम मिशन के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर लगभग दो हफ्ते रहे, जहां उन्होंने मिशन पायलट के रूप में कई अहम प्रणालियों की कमांड/कंट्रोल जिम्मेदारियां संभालीं और वैज्ञानिक प्रयोगों में हिस्सा लिया।
शुक्ला ने बताया कि ISS प्रवास के दौरान टीम ने अनेक प्रयोग किए, जिनमें माइक्रोग्रैविटी माहौल में मानव शरीर की प्रतिक्रियाओं और उपकरणों के प्रदर्शन से जुड़े अध्ययन प्रमुख रहे। “डेटा एनालिसिस जारी है; ठोस नतीजों के बिना कुछ कहना जल्दबाज़ी होगी। कुछ महीनों में परिणाम सार्वजनिक होंगे,” उन्होंने कहा। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरिक्ष में बिताए दिनों के अनुभव जमीन पर सीखी गई बातों से बिल्कुल अलग होते हैं—“शरीर और मन, दोनों एक नए ढंग से अनुकूलित होते हैं।”
गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BIS) पर पड़ने वाले प्रभाव पर शुक्ला बोले, “ह्यूमन स्पेसफ्लाइट का फायदा सिर्फ ट्रेनिंग तक सीमित नहीं रहता। पिछले एक वर्ष में इकट्ठा किया गया ज्ञान हमारे अपने मिशनों—गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन—के लिए अमूल्य पूंजी है। बहुत जल्द हम अपने कैप्सूल, अपने रॉकेट और अपनी धरती से भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजेंगे।” प्रशिक्षण अनुभव पर उन्होंने कहा कि रूस, भारत और अमेरिका—तीनों स्थानों के ट्रेनिंग सेटअप अलग हैं, “लेकिन लक्ष्य एक ही है: हर पल क्रू की सुरक्षा और मिशन की सफलता।”
लॉन्च के क्षणों को याद करते हुए शुक्ला ने कहा, “मैं बेहद उत्साहित था। जोखिम का पता था, पर उसे मैनेज करना ही प्रोफेशनलिज़्म है।” केंद्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने भी मंच से कहा कि आँकड़ों के अनुपात में सड़क हादसों की तुलना में स्पेस मिशन फेल्योर कम होते हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस से प्रमुख बातें
- टीम पर भरोसा: जोखिम के बावजूद संगठित, प्रशिक्षित और सतर्क टीम ही सबसे बड़ा संबल।
- विज्ञान का लाभ: माइक्रोग्रैविटी में किए गए प्रयोगों का डेटा विश्लेषण जारी, नतीजे आने पर सार्वजनिक होंगे।
- देसी मिशनों को बल: अर्जित अनुभव गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन कार्यक्रमों का मार्गदर्शन करेगा।
- ट्रेनिंग का स्वरूप: अलग-अलग देशों के तरीके भिन्न, पर सुरक्षा और स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल सबमें सर्वोच्च।
एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने 18 अगस्त की शाम पीएम नरेंद्र मोदी से दिल्ली में मुलाकात की थी। यह मुलाकात करीब 20 मिनट चली थी।
उल्लेखनीय है कि शुक्ला 18 अगस्त की शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी नई दिल्ली में मिले। करीब 20 मिनट चली इस मुलाक़ात में उन्होंने मिशन अनुभव और भविष्य की भारतीय मानव उड़ानों पर बातचीत की। शुक्ला ने कहा, “भारत बहुत शीघ्र अपनी स्वदेशी प्रणालियों से अंतरिक्ष में मानव भेजने की दहलीज पर है—यह सफर विज्ञान, अनुशासन और टीमवर्क का सम्मिलित परिणाम है।”




