सीहोर / का प्राचीन सिद्धि विनायक गणेश मंदिर 7 सितंबर को लगने वाले पूर्ण चंद्रग्रहण के कारण कुछ समय के लिए बंद रहेगा। इस दिन भक्तों के लिए मंदिर में दर्शन और पूजा की सुविधा उपलब्ध नहीं होगी। मंदिर की मुख्य पीठाधीश्वर डॉ. चारु चंद्रा व्यास ने बताया कि ग्रहण का सूतक काल दोपहर 12:58 बजे से शुरू होगा।
शास्त्रों के अनुसार, इस समय मंदिर के पट दोपहर 12 बजे से बंद कर दिए जाएंगे। इस दौरान पुजारी मंदिर में रहकर जाप, हवन और अन्य अनुष्ठान करेंगे। मंदिर की शुद्धता सुनिश्चित होने के बाद भक्तों को 8 सितंबर से दर्शन की अनुमति दी जाएगी।
ग्रहण का सूतक और मंदिर बंद
चंद्रग्रहण के समय मंदिरों में सूतक काल का पालन करना शास्त्रों में अनिवार्य माना गया है।
- सूतक काल शुरू: दोपहर 12:58 बजे
- मंदिर के पट बंद: दोपहर 12 बजे
- पुजारी का काम: जाप और अनुष्ठान
- दर्शन खुलेंगे: 8 सितंबर से
सूतक काल के दौरान मंदिर के पुजारी विशेष अनुष्ठान करते हैं। इसका उद्देश्य मंदिर और परिसर को शुद्ध और पवित्र रखना है। भक्तों को इस दौरान मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं करने की सलाह दी जाती है।
साल का अंतिम चंद्रग्रहण
ज्योतिष पंडित गणेश शर्मा के अनुसार, 7 सितंबर को यह पूर्ण चंद्रग्रहण भारत में दिखाई देगा।
चंद्रग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की स्थिति इस प्रकार होती है कि पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है और चंद्रमा पूरी तरह या आंशिक रूप से अदृश्य हो जाता है।
- पूर्णिमा की रात को होता है
- धार्मिक मान्यता: यात्रा और खरीदारी वर्जित
- मंदिरों और घरों में पूजन और अनुष्ठान की जाती है
पितृपक्ष की शुरुआत
चंद्रग्रहण के साथ ही पितृपक्ष भी शुरू हो रहा है। यह भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर 16 दिन तक चलता है।
इस दौरान भक्त अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए:
- पाठ
- दान-दक्षिणा
- पिंडदान
करते हैं। मान्यता है कि इस समय पितर पृथ्वी पर आकर वंशजों पर कृपा करते हैं।
पितृपक्ष का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत बड़ा है। यह समय पूर्वजों के प्रति सम्मान, आस्था और कृतज्ञता प्रकट करने का माना जाता है।
चंद्रग्रहण क्या है?
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, चंद्रग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है। इससे धरती की छाया चंद्रमा पर पड़ती है और चंद्रमा पूरी तरह दिखाई नहीं देता या उसका रंग गहरा लाल हो जाता है।
धार्मिक मान्यता अनुसार:
- ग्रहण काल में यात्रा और खरीदारी वर्जित
- घर और मंदिर में पूजन और अनुष्ठान
- यह समय पुण्य और शुद्धि का अवसर माना जाता है
चंद्रग्रहण के दौरान किए गए दान और पुण्य कार्यों का फल दोगुना माना जाता है। इसलिए भक्त इस समय विशेष रूप से दान, पाठ और पिंडदान करते हैं।
मंदिर की तैयारी और सुरक्षा
सिद्धि विनायक गणेश मंदिर में चंद्रग्रहण के समय विशेष तैयारी और सुरक्षा की जाती है।
- मंदिर की साफ-सफाई और शुद्धिकरण
- पुजारियों और कर्मचारियों की विशेष ड्यूटी
- भक्तों के लिए सुविधाजनक व्यवस्था
मंदिर के पट खुलने के बाद भक्त शुद्ध और पवित्र वातावरण में दर्शन कर सकते हैं।
चंद्रग्रहण और पितृपक्ष का संयोजन
इस साल चंद्रग्रहण और पितृपक्ष का समानांतर होना इसे और भी विशेष बनाता है। धार्मिक मान्यता अनुसार:
- ग्रहण के समय किए गए दान और पुण्य कार्य का फल दोगुना
- भक्त पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा और पाठ करते हैं
- यह अवसर आध्यात्मिक लाभ और पुण्य प्राप्ति का होता है
भक्तों के लिए सुझाव
- सूतक काल का पालन करें
- ग्रहण के दौरान यात्रा और खरीदारी से बचें
- इस समय दान, पाठ और पूजा में ध्यान दें
- मंदिर खुलने के बाद शुद्ध वातावरण में दर्शन करें