जावर / उपज मंडियों में आक्रोश
करोड़ों की आमदनी देने वाली आष्टा व जावर कृषि उपज मंडियां अवस्थाओं को लेकर आए दिन सुर्खियों न में बनी रहती है।दोनों मंडियों में स्थिति देखी तो व्यवस्था कौड़ी की नहीं दिखी। किसानों को पीने के शुद्ध ठंडा पानी नहीं है। जबकि अभी तापमान 38 डिग्री से 40 डिग्री के बीच चल रहा है। शौचालय में जाकर देखा तो बदबू के कारण अंदर जाने की हिम्मत नहीं हुई। हुई। पता चला कि सफाई कभी-कभार ही होती है। इस बारे में किसानों से मुलाकात कि तो वह बोले यहां सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। खुद की व्यवस्था खुद ही करनी है।
बता दें कि पिछले दिनों आष्टा मंडी में एक जागरूक किसान ने मंडी अधिकारियों के समक्ष आक्रोश व्यक्त किया था। व्यापारियों ने बताया कि आवारा जानवरों से हम परेशान हो गए हैं। उपज को नुकसान पहुंचाते हैं। आष्टा कृषि उपज मंडी में इन दिनों सीजन का अंतिम – दौर होने के बावजूद भी 17 से 18 हजार क्विंटल की – प्रतिदिन जिंसों की आक्क हो रही है। जबकि सीजन में यहां पर 30 से 35 क्विंटल आवक दर्ज होती है। इससे सरकार को भी करोड़ों का राजस्व मिलता है। उसके बावजूद भी जिम्मेदार किसानों की सुविधाओं को नजर अंदाज कर रहे हैं। पिछले दिनों मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक पुरुषोत्तम कुमार ने आष्टा मंडी का औचक निरीक्षण किया था। जिसमें उन्होंने साफ सफाई को लेकर असंतोष जताया था।
दोनों उपज मंडी में होता है नगद भुगतान
आष्टा व जावर मंडी में उपज का भुगतान भी नगद मिल जाता है। इस कारण भी किसानों का विश्वास इन मंडियों के प्रति बड़ा है। कुछ व्यापारियों का कहना है कि मंडी में पीने के पानी की तो समस्या है ही इसके अलावा सबसे ज्यादा आवारा पशुओं की भी समस्या है। गेट पर कोई भी नहीं रहता। इस कारण दिनभर आवारा मवेशी घुस जाते हैं और मंडी परिसर में व्यापारियों की दुकानों के सामने लगे अनाज के ढेर को नुकसान पहुंचाते हैं। आवारा जानवरों पर रोक लगना चाहिए। भारतीय किसान यूनियन के तहसील अध्यक्ष सूर्यपाल पटेल ने बताया कि कृषि उपज मंडी में प्रतिदिन सैकड़ों किसान उपज लेकर आते हैं, लेकिन उन्हें मंडी में शुद्ध पानी तक नसीब नहीं हो रहा है। इसके अलावा भी मूलभूत सुविधाओं की कमी है।
जावर मंडी पानी में भी पानी का संकट
इसी तरह जावर कृषि उपज मंडी में प्रतिदिन 400 से 500 किसान उपज लेकर आते हैं, लेकिन मंडी में आने वाले किसानों को पीने का शुद्ध पानी तक नहीं मिल रहा है। ऐसे में उपज लेकर आने वाले किसान पीने के पानी के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं या फिर होटल पर जाकर पानी पीते हैं। इसके अलावा मंडी परिसर में बने शौचालयों की भी ठीक से साफ सफाई नहीं होती है। इस मंडी में तहसील के अलावा अन्य तहसीलों के किसान भी उपज लेकर आते हैं। कुछ वर्षों में जावर मंडी के प्रति किसानों का रुझान बड़ा है। आसपास के किसान समय से उपज लेकर आते हैं और माल की नीलामी व तौल करवा कर समय पर घर पहुंच जाते हैं।
नवीन ट्यूबवेल के लिए प्रस्ताव भेजा है
मंडी में पीने के पानी की समस्या है। नवीन ट्यूबवेल खनन करवाने के लिए मंडी बोर्ड को प्रस्ताव भेजा था जो अब स्वीकृत होने की जानकारी मिली है। टेंडर होते ही जल्दी ही मंडी परिसर में नया ट्यूबवेल खनन करवाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। हालांकि अभी हम टैंकर मंगवा कर टंकी भरते हैं। जिससे काम चलाया जा रहा है। शौचालय की भी साफ सफाई प्रतिदिन करवाई जा रही है। जहां तक आवारा मवेशियों की समस्याएं उस पर रोक लगाने का प्रयास करेंगे।
प्रहलाद सिंह, मंडी प्रभारी जावर