कार्य पूर्ण होने के बाद भोपाल इंदौर सेभोपाल का सफर सुरक्षित होगा

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सीहोर-भोपाल / स्टेट हाइवे पर हादसे रोकने और यातायात को सुगम बनाने के लिए दो बड़ी प्रमुख परियोजना तेजी से डीपीआर पर काम कर रही हैं। एक मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एमपीआरडीसी) मौजूदा फोरलेन को हाइवे को सिक्स लेन में बदलने की योजना बना रहा है, वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) भोपाल-इंदौर के बीच एक नया ग्रीन फील्ड कॉरिडोर तैयार करने में जुटा है। पहले जिस भी परियोजना काम काम पूर्ण होगा, जिले को उसका ज्यादा लाभ मिलेगा।
एमपीआरडीसी का यह प्रयास उज्जैन सिंहस्थ 2028 और फोरलेन पर बढ़ते ट्रैफिक दबाव को देखते हुए किया जा रहा है। इस परियोजना की लागत करीब 4000 करोड़ रुपए आंकी गई है और इसकी डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का कार्य तेजी से चल रहा है। इधर, एनएचएआई द्वारा प्रस्तावित ग्रीन कॉरिडोर परियोजना की अनुमानित लागत 3159 करोड़ रुपए है। इसकी भी डीपीआर तैयार की जा रही है। नए कॉरिडोर के बन जाने से भोपाल-इंदौर की दूरी करीब 30 किलोमीटर कम हो जाएगी और यात्रा का समय 3 घंटे 20 मिनट से घटकर 2 घंटे 25 मिनट रह जाएगा। एनएचएआई के प्रस्ताव में कोरिडोर के दोनों ओर व्यावसायिक केंद्रों के विकास की भी योजना है। यह 146 किलोमीटर लंबा ग्रीनफील्ड कॉरिडोर होगा जो मंडीदीप औद्योगिक क्षेत्र से पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र को सीधा जोड़ेगा। भारी वाहनों को इससे भोपाल, देवास और इंदौर बाइपास की भीड़ से राहत मिलेगी और टोल टैक्स की बचत होगी। परियोजना में 4 बड़े पुल और 140 छोटे-बड़े पुलिया प्रस्तावित हैं, जो इछावर-निमवार रोड क्षेत्र में विकास की संभावनाओं को बढ़ावा देंगे। दूसरी तरफ एमपीआरडीसी के प्रस्ताव में कुबरेश्वर धाम, खजुरी सडक और कोलूखेड़ी में तीन बड़े लाईओवर, 31 बड़े पुल, और 60 छोटे-मध्यम पुल शामिल हैं। अमलाह और कोठरी में बायपास बनाने का भी प्रस्ताव है, जिसके लिए 63.3 हेक्टेयर भूमि, जिसमें 4.5 हेक्टेयर वन भूमि शामिल है, का अधिग्रहण होगा। सिक्सलेन बनते ही यातायात सुगम हो जाएगा और हादसों में कमी आएगी।

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