4 साल से ज्यादा समय से जमे पुलिसवालों को हटाने का 11 जून को हुआ था निर्देश, 16 तक बदले गए

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भोपाल / प्रदेशभर के थानों और सब डिवीजन में 4 साल या इससे ज्यादा समय से पदस्थ सिपाही से सब इंस्पेक्टर तक के 10482 पुलिसकर्मी निकले हैं। मप्र पुलिस के सभी 57 थानों में ऐसे सबसे ज्यादा 1029 पुलिसकर्मी इंदौर पुलिस कमिश्नरेट में पदस्थ मिले हैं। 57 जिले इसलिए, क्योंकि भोपाल-इंदौर जिले में पुलिस के लिहाज से शहर और देहात को अलग जिला माना जाता है। मप्र पुलिस के इतिहास में इसे अब तक की सबसे बड़ी प्रशासनिक सर्जरी माना जा रहा है। क्योंकि केवल 5 दिन की मोहलत में इतने पुलिसकर्मियों को अब तक नहीं बदला गया है। डीजीपी कैलाश मकवाणा का कहना है कि पुलिस व्यवस्था में सुधार, निष्पक्ष कार्रवाई और पारदर्शिता बढ़ाने के नजरिए से यह जरूरी था।
इस संबंध में पुलिस मुख्यालय की प्रशासन शाखा के स्पेशल डीजी आदेश कटियार ने बीती 11 जून को निर्देश जारी किए थे। प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों और भोपाल-इंदौर पुलिस कमिश्नर्स को जारी निर्देश में 16 जून तक की समयावधि तय की गई थी। यानी थानों और सब डिवीजन में 4 साल या इससे ज्यादा समय से पदस्थ सिपाही, हवलदार, एएसआई और एसआई को चिह्नित कर 16 जून तक उनका तबादला भी करना था।
सोशल मीडिया के जरिए मिले इस निर्देश के फौरन बाद से ही सभी जिलों में ऐसे पुलिसकर्मियों को चिह्नित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई। नतीजा ये रहा कि केवल पांच दिन के भीतर 10487 पुलिसकर्मियों का फेरबदल भी कर दिया गया। डीजीपी का कहना है कि अगले एक हफ्ते के भीतर इन सभी पुलिसकर्मियों को नई पदस्थापना के आधार पर ज्वाइन भी करना है। इन निर्देशों के पालन के लिए पुलिस मुख्यालय स्तर पर जिलों की कड़ी मॉनिटरिंग भी की जा रही है।
थाना बदरश् होंगे दागदार पुलिसवाले
इतनी बड़ी संख्या में हुए हुए फेर फेरबदल के बाद प्रदेश के सभी थानों में मची हलचल के बीच डीजीपी की ओर से एक और निर्देश जारी हो गया है। इसके तहत ऐसे किसी भी पुलिस अधिकारी-कर्मचारी को थाने पर पदस्थ नहीं किया जाएगा, जो दागदार हैं। इनमें ऐसे पुलिसवाले शामिल होंगे, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार, नैतिक अधोपतन, शारीरिक हिंसा और अवैध गतिविधियों की शिकायत हो। इनके अलावा ऐसे पुलिसकर्मी भी, जिनके खिलाफ कोई आपराधिक प्रकरण विवेचना में है या अदालत में लंबित है। केवल उन पुलिसकर्मियों को इस श्रेणी में नहीं रखा जाएगा, जिनके खिलाफ दुर्घटना प्रकरण चल रहा हो। इन्हें न केवल थाना, बल्कि क्राइम ब्रांच या किसी अधिकारी के दफ्तर में भी अटैच न किया जाए।
5 श्रेणी के अधिकारी कर्मचारी बदले ।

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