सुभाष एक्सीलेंस प्रदेश का पहला सरकारी स्कूल जहां जातिवर्ग सूचक शब्दों पर लगेगी रोक

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भोपाल / राजधानी का एक स्कूल जातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए एक प्रयोग करने जा रहा है। बोलचाल में बच्चों का सरनेम नहीं जोड़ा जाएगा। प्रथम नाम से पुकारा जाएगा। यह शिक्षकों पर भी लागू रहेगा। जातिगत हीनता की भावना की बजाय हम सब एक होने भावना को बढ़ावा देने के लिए अगले माह से यह नवाचार शुरू होगा। ऐसा करने वाला यह प्रदेश का पहला सरकारी स्कूल होगा। नीट, जेईई और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए अब सुभाष एक्सीलेंस प्रदेश में जाना जाता है। सुपर 100 के बच्चे बच्चे दाखिला पाते हैं जो प्रदेशभर अलग-अलग सरकारी स्कूलों से चुनकर आते हैं। स्कूल प्रबंधन ने तय किया है शिक्षक और बच्चे बोलचाल में नाम पर उपनाम का प्रयोग नहीं करेंगे।
पारासर ने बताया सरकारी रिकॉर्ड में यह लागू नहीं होगा। यह प्रयेाग केवल स्कूल परिसर में बोलचाल के दौरान होगा। कक्षा में हाजिरी से लेकर बच्चों को बुलाने सहित सभी मौके इसमें शामिल हैं।
सात साल में 681 बच्चे नीट, जेईई में सिलेक्ट
कक्षा 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं में करीबन 2 हजार बच्चे हैं। इस सरकारी स्कूल की पहचान अपने एकेडमिक परफॉर्मेंस के लिए हमेशा रही है। पिछले 7 सालों में सुभाष एक्सीलेंस स्कूल से 681 बच्चे नीट, जेईई और जेईई एडवांस में सिलेक्ट हो चुके हैं। साल 2025 में ही इस स्कूल से 20 बच्चे नीट, जेईई में 77 और जेईई एडवांस में 16 बच्चे सिलेक्ट हुए हैं। मामले में जिला शिक्षाधिकारी नरेन्द्र अहिरवार के मुताबिक स्कूल स्तर पर ऐसा किया गया होगा। नवाचार की जानकारी ली जाएगी।
जातियों में बांटने की बजाय एक होने की सीख
सुभाष हॉयर सेकेंडरी स्कूल फॉर एक्सीलेंसी के प्रिंसिपल सुधाकर पाराशर ने बताया इससे जातियों में बंटने की बजाय एक होने की भावना आएगी। हर बच्चे में समानता का अहसास होगा। जो राष्ट्रीयता के लिए जरूरी है।

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