भोपाल / ईरान-इजराइल के बीच चल रहे युद्ध ने भारतीय चावल कारोबार को प्रभावित कर दिया है। युद्ध के कारण एक ओर जहां देश के बंदरगाहों पर चावल के स्टॉक अटक गए हैं। वहीं चावल के खुदरा दरों में भी १० से १५ रुपए प्रति किलो की गिरावट आ गई है। कारोबारी नुकसान के बीच गिरे दाम से आम उपभोक्ताओं को राहत जरूर मिल गई है। हालांकि सुपर स्टोरों ने पैक्ड चावल के दाम नहीं घटाए हैं, लेकिन स्थानीय थोक से लेकर खुदरा बाजारों तक इसका असर अब दिखने लगा है।
बाजार विशेषज्ञों की मानें तो भारत से बासमती चावल का सबसे बड़ा ग्राहक सऊदी अरब है। दूसरे नंबर पर ईरान है। वित्त वर्ष २०२४-२५ में मार्च तक भारत ने ईरान को करीब १० लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया। इनमें से अब भी १८-२० फीसदी यानी करीब १ लाख टन चावल गुजरात के कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों पर अटका है। खास यह है कि हर साल ४ हजार करोड़ रुपए के चावल का निर्यात करने वाले मप्र की राइस मिलों की भी परेशानी बढ़ गई है। सिर्फ नर्मदापुरम के पिपरिया से ही ईरान और अरब देशों में ७५ हजार टन बासमती और सेला चावल भेजे जाते हैं। लेकिन युद्ध के बीच समुद्री मार्ग बंद होने से ये स्टॉक भी बंदरगाहों पर अटक गए हैं। इससे व्यापारियों का नुकसान भी बढ़ने लगा है। कई व्यापारियों ने ईरान में रुपए फंसने की आशंका में भी फिलहाल निर्यात से दूरी बना ली है।